तेलंगाना: हाईकोर्ट ने सचिवालय भवन को तोड़ने पर रोक लगाई!

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तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को झटका देते हुए शुक्रवार को नए परिसर के निर्माण के लिए मौजूदा सचिवालय भवन को तोड़ने पर रोक लगा दी।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, सचिवालय तोड़े जाने के चौथे दिन हाई कोर्ट ने सोमवार तक काम रोकने का अंतरिम आदेश दिया।

 

मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने तेलंगाना डेमोक्रेटिक फोरम के संयोजक और तेलंगाना जन समिति के उपाध्यक्ष प्रोफेसर पीएल विश्वेश्वर राव द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश दिया।

 

अदालत ने सरकार से कहा कि वह सचिवालय तोड़ने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा ली गई सभी अपेक्षित अनुमति उसके सामने प्रस्तुत करे।

 

याचिकाकर्ता की शिकायत है कि 10 लाख वर्ग फुट में बने सचिवालय के 10 ब्लॉकों को तोड़ने से पहले निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

 

उन्होंने कहा कि मौजूदा कोविड-19 की स्थिति में इमारत तोड़ने का प्रभाव पड़ता है और यह आसपास रहने वाले लोगों की श्वसन समस्याओं को बढ़ाता है।

 

याचिकाकर्ता ने कहा कि सचिवालय तोड़ने का फैसला निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, महामारी रोग अधिनियम 1897, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के खिलाफ है।

 

इसके लिए न तो निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया और न ही स्थानीय अधिकारियों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम के तहत इजाजत मांगी गई।

 

याचिकाकर्ता ने उसी स्थान पर सात लाख वर्ग फुट में नए सचिवालय भवन के निर्माण को भी चुनौती दी है, जो हुसैन सागर झील से सटे हुए है।

 

याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे झील में प्रदूषण हो सकता है। एडवोकेट जनरल बीएस प्रसाद ने हाई कोर्ट को बताया कि सचिवालय तोड़ने का काम शुरू करने से पहले सभी आवश्यक अनुमति ली गई थी।

 

अदालत ने उन्हें सोमवार को दस्तावेज रखने का निर्देश दिया और कहा कि तब तक तोड़ने का काम बंद कर दिया जाना चाहिए।