न्यूयॉर्क के एक न्यायाधीश ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर रेप का आरोप लगाने वाली एक महिला के केस में देरी कराने की ट्रंप की कोशिशों पर पानी फेरते हुए गुरुवार को एक फैसले में कहा कि राष्ट्रपति पद पर होना उन्हें इस केस से नहीं बचा सकता है।
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की एक हालिया व्यवस्था कि राष्ट्रपति न्यूयॉर्क के एक अभियोजक की आपराधिक जांच से बच नहीं सकते हैं, की ओर संकेत करते हुए मैनहैट्टन की न्यायाधीश वर्ना सॉन्डर्स ने कहा कि यही सिद्धांत ई जीन कैरोल के मानहानि संबंधी वाद पर भी लागू होता है जिसमें ट्रंप के वकील ने दलील दी थी कि संविधान राष्ट्रपति को राज्य की अदालतों में दाखिल वाद में खींचे जाने से प्रतिबंधित करता है।
सॉन्डर्स ने कहा कि, नहीं, ऐसा नहीं है। इस फैसले के बाद कैरोल को अपना वाद जारी रखने की अनुमति मिल गई है। वह संभावित सबूत के रूप में ट्रंप के डीएनए का आग्रह कर रही हैं।
उनका आरोप है कि 1990 के दशक में ट्रंप ने उनके साथ दुष्कर्म किया था और यह दावा वापस लेने पर विवश करने के लिए उन्हें अपमानित भी किया था।
कैरोल की वकील रोबर्टा कपलान ने कहा कि, हम इस तथ्य पर आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हैं ताकि हम साबित कर सकें कि डोनाल्ड ट्रंप ने कैरोल को उस वक़्त बदनाम किया था।
जब उन्होंने कैरोल के उस साहसिक फैसले के बारे में झूठ बोला था कि डोनाल्ड ट्रंप ने उनके साथ दुष्कर्म किया था। फैसले के बारे में ट्रंप के वकीलों को ई-मेल और फोन संदेशों के माध्यम से जानकारी दे दी गई है।