IHS मार्केट ने भारत की सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर दिया बड़ा बयान!

   

चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गयी है। आईएचएस मार्किट ने कहा कि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये किए गए उपायों का असर दिखने में कुछ समय लग सकता है।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, उसने कहा, सरकारी बैंकों के बही खाते पर गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के बोझ का स्तर अधिक है, जिससे ऋण देने की उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है। वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी का देश की आर्थिक वृद्धि दर पर दबाव दिखता रहेगा।

गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है।

इससे पिछली तिमाही में वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही थी जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह सात प्रतिशत थी।

आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के कारण भी कुछ वाणिज्यिक बैंकों के बही खाते पर असर पड़ सकता है। यह ऋण के विस्तार पर और प्रतिकूल असर डालेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों के ऊंचे स्तर की वजह से उनका नया ऋण प्रभावित होगा।

आईएचएस मार्किट ने कहा, ‘सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रहने का असर पूरे वित्त वर्ष की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर पर पड़ सकता है और इसके पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रहने की आशंका है।’

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने भी 2019-20 में देश की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।