जावेद अख्तर ने मुसलमानों से की खास अपील!

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कोरोना वायरस की वजह से देश में हालात खराब हैं। कई मोर्चे पर चुनौतियां खड़ी हैं। एक ओर जहां लोग बीमारी से बचने के लिए घरों में बंद हैं, तो वहीं दूसरी ओर सबकुछ बंद होने की वजह से आर्थिक हालात भी खराब हैं।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, इन सबके इतर कुछ मामले में आपसी भाईचारा भी खराब हो रहा है। डॉक्टर्स पर हमला, पुलिस पर हमला और दुकानदारों पर हमले के कारण माहौल और बिगड़ रहा है। इस बिगड़ते माहौल पर बॉलीवुड सेलेब्स लगातार लोगों से भाईचार बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

 

लेखक और फ़िल्ममेकर जावेद अख्त़र ने भी एक वीडियो के जरिए लोगों को यही संदेश देने की कोशिश की है। दरअसल, उनकी पत्नी शबाना आज़मी ने अपने ऑफ़िशियल ट्विटर आकउंट से एक वीडियो पोस्ट किया है। इसमें जावेद लोगों से एकजुट रहने की अपील कर रहे हैं।

 

जावेद ने इस वीडियो में कहा- ‘दोस्तों, देश इस वक्त बड़े संकट से गुजर रहा है। इस संकट से लड़ने के लिए, जिसका नाम कोरोना है, जरूरी है कि हम सब पूरे के पूरे एक हों।

 

हम अगर एक दूसरे पर शक करने लगेंगे और एक दूसरे की नीयत को नहीं समझेंगे, तो जब एकता ही नहीं होगी, तो लड़ेंगे कैसे? एकता की बहुत जरूरत है।

 

आए दिन मैं बहुत अज़ीब-अज़ीब बातें सुनता हूं। सलाम करिए उन डॉक्टर्स का, जो अपनी जान हथेली पर लेकर आपका टेस्ट लेने आ रहे हैं। टेस्ट से ही तो मालूम होगा कि आपको बीमारी है या नहीं।

 

टेस्ट में मालूम होगा आपको बीमारी है, तो आपका इलाज़ कराया जाएगा। यह बहुत नासमझी की बात है कि कई जगह उन डॉक्टर्स के ऊपर पत्थर फेंका गया है। यह तो बहुत बेवकूफी का काम है, यह नहीं होना चाहिए।’

 

 

जावेद ने आगे कहा- ‘दूसरी तरफ सुनने को मिलता है कि एक वर्ग की दुकाने बंद करा दी। ठेला उलट दिया। उसे मारकर भगा दिया। ऐसे थोड़े ही एकता होती है। हम एक दूसरे पर पूरी तरह से विश्वास रखना होगा। हम सब देशवासी हैं।’

 

जावेद अख़्तर ने मुस्लिम समाज से विशेष अपील की। उन्होंने कहा- ‘मैं रिक्वेस्ट करूंगा, खासतौर से अपने देश के मुसलमान भाईयों से। आपका रमजान आ रहा है।

 

आप ज़रूर इबादत करिए। इबादत का अपना फर्ज़ समझते हैं। लेकिन इसमें याद रखिए कि दूसरों को प्रॉब्लम ना हो। बल्कि आपके अपने लोगों को भी प्रॉब्लम ना हो। वो सारी इबादत जो आप मस्जिद में जाकर करते थे, वह आप घर पर कर सकते हैं।

 

ख्याल रखिए कि आपकी बातों, नारों और बातचीत से दूसरों के दिलों में तरह-तरह के संदेह पैदा ना हो।’