अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई को लेकर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को उम्मीद जताई कि फैसला मुसलमानों के पक्ष में आएगा।
बोर्ड की कार्यकारिणी कमेटी की यहां नदवतुल उलमा में हुई बैठक में अयोध्या मामले, समान नागरिक संहिता और तीन तलाक के मामले पर खुलकर चर्चा हुई। हालांकि इस बैठक से मीडिया को दूर रखा गया है।
The Meeting of the Executive Committee of All India Muslim Personal Law Board will be on October 12, 2019 at Nadwa@TehzeebTvIndia
@rabbanikr @Mohsinrazabjpup @naqvimukhtar @asadowaisi #tehzeebtvindia pic.twitter.com/Hs9TxCLOod— Dr.Ahtesham Siddiqui (@AhteshamFIN) October 12, 2019
बैठक में मौजूद बोर्ड के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अयोध्या प्रकरण को लेकर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर भरोसा जताते हुए अपने अधिवक्ताओं के काम को सराहा गया।
बैठक में कहा गया कि मुस्लिम पक्ष के पास मजबूत दलीलें हैं और इस बात की उम्मीद भी है कि मामले का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आएगा। सदस्य ने बताया, बैठक में तय किया गया कि बोर्ड समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा। यह संहिता हिन्दुस्तान के लिए फायदेमंद नहीं है और न ही जमीनी स्तर पर उसे लागू किया जा सकता है।
All India Muslim personal law board working committee members advocate Zafaryab Jilani and Maulana Khalid Rasheed Farangi Mahali and others exchanging notes at Lucknow's Darul Uloom Nadwatul Ulama during the board's meeting@AIMPLB_Official pic.twitter.com/doznhsWjAk
— Yusra Husain (@yusrahusain) October 12, 2019
सदस्य ने बताया कि कमेटी ने माना कि समान नागरिक संहिता न सिर्फ मुसलमानों के लिए, बल्कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा आदिवासियों के लिए भी अव्यवहारिक है।
After its executive committee meeting in Lucknow at Nadwa on Saturday, the All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) reiterated its stand that status of the disputed land in #Ayodhya which belongs to the mosque cannot be altered, transferred or surrendered to anyone else.
— Yusra Husain (@yusrahusain) October 12, 2019
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने बताया कि बैठक में तीन तलाक के सिलसिले में बना कानून न सिर्फ शौहर, बल्कि बीवी और बच्चों के भी भविष्य के लिए नुकसानदेह है। इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी या नहीं, इस बारे में बोर्ड की लीगल कमेटी फैसला करेगी।
उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक में महासचिव मौलाना वली रहमानी, उपाध्यक्ष फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मौलाना महमूद मदनी, जफरयाब जीलानी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी और मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली समेत अनेक सदस्य मौजूद रहे।