यहां हिन्दुओं को जबरन क़ुरआन पढ़ाने का दावा, जानिए पुरा मामला!

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कहा जाता है कि धर्म की बुनियाद पर बनाया गया देश धर्म निरपेक्ष देशों के मुकाबले धीरे विकास करता है। निश्चिततौर पर दुनिया में इस लाइन के अपवाद भी रहे पर अपना पड़ोसी देश इस लाइन पर एकदम फिट बैठता है।

हरिभूमी छपी खबर के अनुसार, पाकिस्तान आज जहां है वहां के लिए कोई और देश नहीं बल्कि उसका जिम्मेदार वही है। नफरतों के दम पर तरक्की करने की कोशिश भला कहां सफल हुई है।

पाकिस्तान अपने ही अल्पसंख्यक नागरिकों को आखें दिखाकर उन्हें उनके हक से वंचित कर है।

उसने भारत से थोड़ा सा भी सबक नहीं लिया। बहुसंख्यक मुस्लिम मुल्क पाकिस्तान में हिन्दुओं और सिखों के हालत कितने बदतर हैं ये किसी से छिपा नहीं है।

पाकिस्तान तमाम परेशानियों से जंग जीतने के बजाय अल्पसंख्यकों के खिलाफ योजनाएं लगाकर ही खुद को जीता हुआ महसूस करता है। अपने देश में भाषा, विषय और धर्म चुनने की पूरी आजादी है पर पाकिस्तान में ये तीनों चीजें जबरन थोपी जाती हैं।

आज से 2 साल पहले पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में हर स्कूलों में कुरान पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया।

इसके लिए होली कुरान बिल 2017 को पास कर दिया गया। पहले कहा गया कि इस बिल की अनिवार्यता बहुसंख्यक यानी मुस्लिम बच्चों पर ही लागू होगी पर धीरे धीरे इसे अल्पसंख्यकों पर भी थोप दिया गया अब हालात ये है कि हिन्दुओं और सिखों को भी कुरान पढ़ने पड़ रहे हैं।

अगर वह कहते हैं कि मुझे नही पढ़ना तो उन्हें स्कूलों से निकाल दिया जा रहा। पिछले साल सस्टनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके अनुसार स्कूलों का पाठ्यक्रम ऐसा बनाया कि गया है जो सिर्फ मुस्लिमों के अनुकूल हो।