अयोध्या में ध्वस्त की गयी मस्जिद के स्थल पर खुदाई से मिले अवशेष ‘संदेह से परे साक्ष्य’ हैं कि उसके नीचे एक संरचना मौजूद थी
राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्षकारों ने 2.77 एकड़ भूमि पर मुस्लिम पक्षकारों के दावों को नकारा और कहा कि ध्वस्त की गयी मस्जिद के नीचे खुदाई में मिले अवशेष वहां ‘विशाल संरचना’ होने का संकेत देते हैं।
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, राम लला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों की यह दलील सही नहीं है कि विवादित ढांचे के नीचे कोई इस्लामिक संरचना थी।
Ayodhya case: "Proof beyond doubt" of structure beneath Babri mosque, Supreme Court told.https://t.co/Qb6MfXgDrt pic.twitter.com/p2OurGIUii
— NDTV (@ndtv) October 3, 2019
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, उन्होंने कहा कि अयोध्या में ध्वस्त की गयी मस्जिद के स्थल पर खुदाई से मिले अवशेष ‘संदेह से परे साक्ष्य’ हैं कि उसके नीचे एक संरचना मौजूद थी।
उन्होंने कहा कि खुदाई में मिले खंबों के आधार, गोलाकार मंदिर, परस्पर जुड़े ईंटों की दीवारों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वह विशाल संरचना कोई इस्लामिक ढांचा नहीं बल्कि एक मंदिर ही था।
Ram Mandir existed before Babri mosque in Ayodhya. Muslims should hand over the place to Hindus before SC Judgment. Muslims were ready, but Marxist historians lied to create confusion: Archaeologist KK Muhammed https://t.co/Oeo06HARcF
— Koi Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) October 2, 2019
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष मुस्लिम पक्षकारों की दलीलों का जवाब देते हुये वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित ढांचे के नीचे बना ढांचा ईदगाह की दीवार या इस्लामिक संरचना का दावा सही नहीं है।
Proof beyond doubt of massive structure beneath Babri Masjid: Ram Lalla's counsel tells SC https://t.co/cQk3aUkI6L
— HuffPost India (@HuffPostIndia) October 3, 2019
वैद्यनाथन ने कहा, ‘‘पहले उनका दावा था कि वहां कोई संरचना ही नहीं थी, बाद में उन्होंने कहा कि यह इस्लामिक ढांचा या ईदगाह की एक दीवार थी।
हम कहते हैं कि वह मंदिर था जिसे ध्वस्त किया गया और खुदाई के दौरान मिले स्तंभों के आधार पर इसकी पुष्टि करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी भी संदेह से परे साक्ष्य है कि इसके नीचे एक संरचना थी।’’
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर ध्वस्त किये जाने के बारे में कोई निश्चित साक्ष्य या तथ्य नहीं है।
धवन ने कहा, ‘‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट में किसी संरचना को ध्वस्त किये जाने का कोई निष्कर्ष नहीं है। एएसआई की रिपोर्ट में विध्वंस के बारे में कोई साक्ष्य ही नहीं है।’’
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
इसके विपरीत, वैद्यनाथन ने कहा कि हिन्दू पक्षकारों का यही मामला है कि खुदाई में मिले अवशेषों, घेराकार मंदिर, स्तंभों के आधार, एक दूसरे से मिलती दीवारें और अन्य सामग्री से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वहां एक मंदिर था।
प्रारंभ में ही वैद्यनाथन ने कहा कि परस्पर जुड़ी दीवारों पर कुछ श्लोक और मकर प्रणाला उकेरा हुआ मिला है जिसे मां गंगा का वाहन माना जाता है।