नागरिक दंड संहिता में वर्णित रेस ज़्यूडिकाता के तहत उसी विवाद को हिंदू पक्षकार दोबारा नहीं उठा सकते
उच्चतम न्यायालय में अयोध्या विवाद की सुनवाई के 34वें दिन सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था और अब पूरे हिस्से पर दावा किया गया है।
#JustIn | Ayodhya case: Masjid side makes a stunning claim in SC.
‘Can’t judge legality of Babur’s action’, says Masjid side.TIMES NOW’s Harish Nair with details. Listen in. pic.twitter.com/lIGenrG9Pf
— TIMES NOW (@TimesNow) September 30, 2019
मुस्लिम पक्षकार के वकील शेखर नाफडे ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था और अब पूरे हिस्से में दावा किया गया है। अब हिंदू अपने दावे के दायरे को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
#Babrimasjid #Ramtemple #Ayodha
Should I call it as beauty of India or Politics of india
Where a muslim (senior advocate Zafaryab Jilani) is fighting for Ram… https://t.co/BeToRT3U3m— mizanur rahaman (@mjnr881) September 25, 2019
संजीवनी टुडे पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि नागरिक दंड संहिता में वर्णित रेस ज़्यूडिकाता के तहत उसी विवाद को हिंदू पक्षकार दोबारा नहीं उठा सकते। रेस ज्यूडीकाटा नियम (एक ही तरह के विषय पर दो बार वाद दायर नहीं किया जा सकता) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नजरअंदाज कर दिया था।
इस बीच इस मामले में मध्यस्थता की उम्मीदों को आज झटका लगा जब रामलला विराजमान ने कहा कि उसे कोर्ट के फैसले पर ही भरोसा होगा।