मुसलमानों के सब से बड़े सामूहिक धार्मिक संस्कार, हज की व्यवस्था एक अंतरराष्ट्रीय समिति द्वारा किये जाने के सुझाव पर सऊदी अरब ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया प्रकट की है। सऊदी नरेश के सलाहकार ने कहा है कि हज के राजनीतिकरण की कदापि अनुमति नहीं दी जाएगी।
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, मक्का नगर के शासक और सऊदी नरेश के सलाहकार खालिद अलफैसल ने हज के संस्कारों को एक अंतरराष्ट्रीय समिति की देख रेख में आयोजित किये जाने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा है कि सऊदी अरब की सरकार, हज के राजनीतिकरण की कदापि अनुमति नहीं देगी।
उन्होंने पिछले वर्ष से ही हज की व्यवस्था को इस्लामी देशों की संयुक्त कमेटी के हवाले किये जाने की मांगों पर पूछे गये एक सवाल पर कहा कि सऊदी सरकार, हज के राजनीतिकरण का कड़ाई से विरोध करती है और हम किसी भी दशा में इस बात की अनुमति नहीं देंगे कि इस इस्लामी संस्कार में फेर-बदल किया जाए क्योंकि सऊदी सरकार, पूरी तरह से अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है।
गत कई वर्षों से इस्लामी देशों की ओर से यह मांग की जाती रही है कि हज को एक संयुक्त कमेटी आयोजित करे किंतु सऊदी अरब ने हर बार उसका विरोध किया।
यह मांग इस लिए की जा रही है क्योंकि सऊदी अरब ने स्वंय हज़ का राजनीति करण कर दिया है। सऊदी अरब ने क़तर से राजनीतिक विवाद के बाद, इस देश के हाजियों की राह में बार बार रोड़े अटकाए जबकि सीरिया, यमन, लीबिया और ईरान के हाजियों पर प्रतिबंध भी लगाये।
इसी प्रकार सऊदी अरब ने पिछले साल कई ऐसे नेताओं को हज की अनुमति नहीं दी जो राजनीतिक या धार्मिक रूप से सऊदी सरकार का विरोध करते हैं।
उदारहण स्वरूप, सऊदी अरब ने कुवैत के धर्मगुरु तारिक़ सुवैदान को केवल इस लिए हज का वीज़ा नहीं दिया क्योंकि वह सऊदी अरब विरोधी विचार रखते हैं और उन्होंने मिस्र के दिंवगत पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी के खिलाफ सेना की बगावत का विरोध किया था।
सन 2016 में सऊदी अरब ने ईरानी हाजियों की लिए ऐसी कड़ी शर्तें लगायीं जिन्हें पूरा करना संभव नहीं था इस लिए उस साल ईरानी नागरिक, हज पर नहीं जा सके। इस प्रकार की घटनाओं के बाद यह मांग तेज़ी से बढ़ रही है कि हज की व्यवस्था, इस्लामी देशों की एक समिति करे।
बीबीसी ने सन 2017 में अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि पिछले साल सऊदी अरब को हज से 12 अरब डॉलर की सीधी आमदनी हुई. भारतीय मुद्रा में ये रकम 76 हज़ार पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा बनती है। सऊदी अरब जाने वाले 80,330,000 तीर्थयात्रियों ने कुल 23 अरब डॉलर की रकम वहां पर खर्च की।