भारतीय मुसलमानों के लिए फलस्तीन कितना जरुरी?

   

अपने पुराने सिद्धांत से क़दम पीछे खींचते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इस्राईल के पक्ष में वोट किया है। भारत द्वारा उठाए गए इस क़दम को लेकर स्वयं भारतीय मुसलमानों में रोष देखा जा रहा है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, गत 6 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ में हुई वोटिंग में इस्राईल के पक्ष में भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और कनाडा ने मतदान किया, वहीं ईरान, चीन, रूस, सऊदी अरब, पाकिस्तान सहित कुछ अन्य देशों ने फ़िलीस्तीन की संस्था के पक्ष में वोट किया।

जानकारी के अनुसार अपने पुराने रुख के उलट जाकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) में इस्राईल के समर्थन में मतदान किया है। यह वोटिंग संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन के मानवाधिकार संगठन ‘शहीद’ को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के लिए हुई थी।

गत 6 जून को हुई वोटिंग में ज़ायोनी शासन के पक्ष में भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और कनाडा ने मतदान किया। वहीं इस्लामी गणतंत्र ईरान, चीन, रूस, साऊदी अरब, पाकिस्तान सहित कुछ अन्य देशों ने फ़िलिस्तीन की संस्था के पक्ष में वोट किया।

‘शहीद’ को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक का दर्जा देने का प्रस्ताव 28-14 के अनुपात से खारिज हो गया। बहरहाल, यह पहली बार है जब भारत ने अपने पुराने सिद्धांत से क़दम पीछे खींच लिए हैं, जबकि अब तक भारत फिलस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में देखता रहा है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, भारत का पूर्व रुख पश्चिम एशिया में शांति लाने की कोशिश के तहत क़ायम था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में बदली हुई परिस्थितियों में भारत ने इस्राईल के पक्ष में वोटिंग करने का फ़ैसला लिया।

इस बीच भारत द्वारा उठाए गए इस क़दम से जहां इस्राईल ने ख़ुशी जताई है वहीं स्वयं भारतीय मुसलमानों ने इसपर कड़ा रोष व्यक्त किया है। भारत के कई मुस्लिम संगठनों के मोदी सरकार के इस फ़ैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है।