क्या सैन्य शक्तियों के मामले में कमजोर है सऊदी अरब?

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सऊदी अरब के पास पैसे की कोई कमी नहीं है उसके बाद भी वो सैन्य शक्ति के मामले में अपने को मजबूत नहीं कर पाया है। धनवान होने के बारे में बात करें तो यहां की एकमात्र कंपनी भारत के सबसे रईस व्यक्ति की कुल संपत्ति से दोगुना लाभ कमाती है।

कंपनी की इतनी कमाई तब है जब ये किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर नहीं है, यदि ये कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर हो जाए तो इसकी कुल वैल्यू का आकलन और कई गुना बढ़ जाएगा।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, दुनिया भर में सऊदी अरब की अरामको तेल कंपनी ने साल 2018 में कमाई का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया था, इस कंपनी ने 2018 में कुल 111.1 अरब डॉलर (7.66 लाख करोड़ रुपये) की कमाई की है।

अब सवाल ये उठता है कि इतनी अधिक कमाई करने वाला सऊदी अरब अन्य मामलों में अब तक बलवान क्यों नहीं हो पाया, उसके ऊपर विद्रोही आराम से कैसे हमला कर पा रहे हैं।

इस तरह के हमलों की वजह से अरब को नुकसान हो रहा है तो वो अपने को मजबूत करने की दिशा में कोई काम क्यों नहीं कर रहा है।

दरअसल, एक बात ये भी कही जाती है कि यदि सऊदी अरब की सेना मजबूत हुई तो वो यहां पर तख्तापलट भी कर सकती है। इस वजह से सऊदी का शाही परिवार इस बात से हमेशा ही डरा रहता है।

इसलिए सऊदी अपनी सुरक्षा और सेना की जरूरतों के लिए अमेरिका और पाकिस्तान पर निर्भर रहता है। यमन के खिलाफ लड़ाई में सऊदी कितना खर्च कर चुका है इसकी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन पिछले दो सालों में सऊदी के कुल विदेशी धन में 200 अरब डॉलर की गिरावट आई है।

इससे साफ है कि लड़ाई में सऊदी को काफी आर्थिक नुकसान हुआ। सऊदी अरब ने यमन में मार्च 2015 में हस्तक्षेप शुरू किया था, सऊदी के नेतृत्व वाले सैनिकों ने हवाई हमले शुरू किए थे और छोटी संख्या में जमीन पर भी अपने सैनिकों को भेजा था।