ICMR का राज्यों को निर्देश- अगले दाे दिनों तक कोविड-19 रैपिड टेस्टिंग किट का न करें इस्तेमाल

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आईसीएमआर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अगले दो दिनों तक रैपिड टेस्ट किट इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया है। आईसीएमआर के मुताबिक, रैपिड टेस्ट को लेकर शिकायत मिली है, जिसके बाद टेस्टिंग पर रोक लगाई गई है।

आईसीएमआर के आर. गंगाखेड़कर ने कहा, “राज्यों को दो दिनों के लिए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी गई है। रिजल्ट में बहुत भिन्नताएं आ रहीं थीं, जिसके चलते ऑन ग्राउंड टीमों द्वारा किट परीक्षण के बाद दो दिनों में एडवाइजरी जारी की जाएगी।” इसके साथ ही गंगाखेडकर ने बताया कि 4,49,810 सैंपलों का अब तक टेस्ट किया जा चुका है। 20 अप्रैल को 35,852 सैंपलों का टेस्ट किया गया जिनमें से 29,776 नमूनों का टेस्ट 201 ICMR नेटवर्क लैब में और बाकी 6,076 सैंपलों का टेस्ट 86 निजी प्रयोगशालाओं में किया गया।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटे में कोरोना के अब तक सबसे ज्यादा 705 मरीज ठीक हुए हैं। वहीं, 24 घंटे में 1,336 नए केस भी सामने आए हैं।

राजस्थान ने पहले ही इस्तेमाल नहीं करने का लिया था फैसला

राजस्थान ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए पहले ही रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने मंगलवार को जानकारी दी कि  त्रुटिपूर्ण नतीजे आने के बाद राज्य सरकार ने कोरोनावायरस के परीक्षण के लिए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को इसकी सूचना दे दी गई है। उन्होंने कहा है कि किट्स की एक्यूरेसी सिर्फ 5.4 प्रतिशत है।

एक्यूरेसी पर सवाल

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि रैपिड टेस्टिंग किट का प्रभाव जानने के लिए एक कमेटी बनाई थी। इन किट्स की एक्यूरेसी90 फीसदी होनी चाहिए थी। लेकिन, यह महज 5.4 प्रतिशत ही आ रही है। टेस्टिंग के वक्त तापमान को लेकर जो गाइडलाइन थी, उसका भी पालन किया गया था। इसके बाद भी परिणाम सटीक नहीं हैं। शर्मा के अनुसार, “विशेषज्ञों की टीम नेसलाह दी है कि इस टेस्टिंग किट के इस्तेमाल से कोई फायदा नहीं है। ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट से जांच रोक दी गई है। अब पहले की तरहपीसीआर से जांच होगी। इसमें तेजी लाई जाएगी।”

पश्चिम बंगाल ने भी की थी शिकायत

इससे पहले पश्चिम बंगाल ने कोरोनावायरस टेस्टिंग किट के दोषपूर्ण होनेे की शिकायत की थी। राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने शिकायत की थी कि यह टेस्टिंग किट दोषपूर्ण हैं और गलत परिणाम दे रही हैं। इससे कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ ‘जंग’ धीमी पड़ रही है। राज्‍य की ओर से मिली शिकायत की पुष्टि करते हुए आईसीएमआर के उप निदेशक डॉक्‍टर रमन गंगाखेडकर ने सोमवार को दिल्ली में एक प्रेस मीट में कहा था कि किट अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए)  द्वारा अनुमोदित हैं और अच्छी गुणवत्ता की हैं। हालां‍कि, एक बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए था कि टेस्टिंग किट को हर समय -20 डिग्री तापमान पर रखने की आवश्यकता होती है। हालांकि इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में सभी दोषपूर्ण कोविड-19 टेस्टिंग किट को बदलेगा।