एक समय में टेलिकॉम सेक्टर की दिग्गज माने जाने वाली अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन दिवालिया हो चुकी है। अब देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की हालत भी लगातार खराब होती जा रही है।
पहले से ही स्पेक्ट्रम, टैक्स और दूसरी देनदारियों की वजह से कंपनी पर करीब 44200 करोड़ का कर्ज है जिसे तीन महीने में चुकाना है। वहीं तिमाही नतीजों में कंपनी को 50,913 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जो अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है।
कर्ज और तिमाही नतीजो के बाद अब कंपनी की AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू संबधी 44,200 करोड़ रुपए की देनदारी और बढ़ सकती है। जिससे कंपनी को अतिरिक्त प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी जिसका सीधा असर कंपनी के बैलेंस शीट पर दिखेगा। बाजार के जानकारों के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो कंपनी पर ताला लगने का खतरा भी मंडरा सकता है।
ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस के मुताबिक वोडाफोन आइडिया की AGR संबंधी देनदारी 54,200 करोड़ रुपये रह सकती है। क्रेडिट सुइस का कहना है कि ऐसे में टेलीकॉम कंपनी को 10,100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोविजनिंग AGR के लिए करनी पड़ेगी। पहले से ही घाटे की मार झेल रही वोडाफोन आइडिया के लिए ये एक और नई मुसीबत खड़ी कर सकता है।
भारत में टेलिकॉम सेक्टर की मौजूदा हालात पर वोडाफोन आइडिया के सीईओ निक रीड ने अभी हाल ही बयान दिया था कि कंपनी अब भारत में नया निवेश करने के लिए सक्षम नहीं है।
हालांकि बाद में रीड ने कहा था कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया और उसपर उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर माफी भी मांगी।
आपको बता दें कि जियो से निपटने के लिए और अपनी स्थिति को बेहतर करने के लिए वोडाफोन और आइडिया ने हाथ मिलाकर एक नई कंपनी वोडाफोन आइडिया का गठन किया था। लेकिन इसके बावजूद भी कंपनी की मुश्किलें कम होने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है।