तो अब हर चुनाव में मुस्लिम सासंद और विधायकों की संख्या बढ़ेगी?

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लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे अब सबके सामने है। देश की जनता ने एनडीए पर फिर भरोसा जताया है। भाजपा को 303 सीटों पर जीत मिली। 17वीं लोकसभा में 2014 की तुलना में इस बार लोकसभा जाने वाले मुस्लिम सांसदो की संख्या बढ़ गई है। इस बार 27 मुस्लिम संसद का हिस्सा होंगे। जबकि पिछले चुनाव में 22 मुस्लिम सांसद चुने गए थे।

2019 के लोकसभा चुनावों मेंउत्तर प्रदेश से 6 मुस्लिम सांसदों ने जीत दर्ज की। पिछली लोकसभा में उप्र से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया था।

लेकिन इस बार सपा के आजम खान रामपुर से, बसपा के कुंवर दानिश अली अमरोहा से, बसपा से ही अफजाल अंसारी गाजीपुर से, सपा के डॉ एसटी हसन मुरादाबाद से, बसपा के हाजी फजलुर्रहमान सहारनपुर से और बसपा के डॉ शफीकुर्रहमान बर्क संभल से चुनाव जीते।

इसके साथ ही पश्चिम बंगाल से चार, जम्मू-कश्मीर से तीन, केरल से तीन, बिहार से दो, असम से दो, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, लक्षद्वीप और तमिलनाडु से एक-एक मुस्लिम सांसद चुने गए हैं।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, जीतने वाले अधिकांश उम्मीदवार विपक्षी दलों के हैं, जबकि भाजपा का केवल एक उम्मीदवार ही चुनाव जीत सका है। पश्चिम बंगाल कीबिष्णुपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वालेसौमित्र खान भाजपा के इकलौते मुस्लिम सांसद हैं। बंगाल में भाजपा ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे।

देश आजाद होने के बाद का संसदीय इतिहास को देखें तो पता चलता है मुस्लिमों की संसद में कितना प्रतिनिधित्व रहा। साल 1952 में 11 मुस्लिम सांसद लोकसभा पहुंचे थे। साल 1957 में 19, 1962 के लोकसभा चुनाव में 20 मुस्लिम सांसद पहुंचे।

1967 में 25 मुस्लिम सांसद चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1971 में 28, सबसे ज्यादा मुस्लिम सांसद 1980 में पहुंचे थे जिनकी संख्या 49 थी और 1984 में 42 मुस्लिम सांसद चुने गए थे। साल 2004 में 34, साल 2009 में 30 और 2014 में 22 मुस्लिम सांसद चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे।