पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिनेवा में आयोजित पहले वैश्विक शरणार्थी मंच (ग्लोबल रिफ्यूजी फोरम) पर कश्मीर और भारत के नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा उठाया।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, इमरान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह कश्मीर में मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का संज्ञान ले।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को रद्द करने के भारत के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा “कश्मीर का विवाद एक और बड़ी शरणार्थी समस्या को जन्म दे सकता है।”
इमरान युनाइडेट नेशन्स हाईकमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज और स्विट्जरलैंड की सरकार द्वारा जिनेवा में आयोजित इस 2 दिवसीय ग्लोबल रिफ्यूजी फोरम के सहसंयोजक हैं। उन्होंने कहा “2 परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच कश्मीर मुद्दा गंभीर रूप ले सकता है।”
इमरान ने भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी मुद्दा उठाया और विश्व समुदाय से इस पर ध्यान देने की अपील की। उन्होंने कहा “भारत के मुसलमानों को नागरिकता से वंचित करने के लिए यह कानून बनाया गया है।
भारतीय मुसलमानों के अधिकार छीने जा रहे हैं। इस कानून के खिलाफ भारत में दंगे हो रहे हैं और लोग सडक़ों पर हैं।”
इमरान ने कहा “दुनिया जान ले कि भारत में शरणार्थियों का एक बहुत बड़ा संकट जन्म ले रहा है। कश्मीर में 80 लाख लोग पहरे में हैं। वहां बहुसंख्यक मुस्लिमों को अल्पसंख्यक बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो दो एटमी ताकतों में टकराव हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि “बेसहारा शरणार्थियों की समस्या से अमीर मुल्क नहीं निपट सकते। ऐसे हालात बनाने होंगे कि लोग शरणार्थी बनने पर मजबूर न हों। अपनी तमाम मुश्किलों के बावजूद पाकिस्तान 30 लाख अफगान शरणार्थियों की मेजबानी कर रहा है।”