बंगाल में 7 चरणों में चुनाव पर उठ रहे सवाल, नेता बोले नहीं रखा गया रमजान का ख्याल

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पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जाने की निवार्चन आयोग की घोषणा पर यह कहकर असंतोष प्रकट किया कि मतदान की लगातार तारीखों से लोगों पर दवाब पड़ेगा। वरिष्ठ तृणमूल नेता और राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने रमजान के महीने में चुनाव कराए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि रमजान में मुस्लिम पूरे दिन भूखे रहते हैं। रमजान इस साल मई-जून में पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “चुनाव पांच, सात या 14 चरणों में कराया जाए, मुद्दा यह नहीं है, क्योंकि हमारी नेता ममता बनर्जी की जगह लोगों के दिल में है। लेकिन हमारी चिंता राज्य के लोगों को लेकर है। लगातार मतदान कराए जाने का लोगों पर दबाव पड़ेगा। मतदान रमजान के महीने में होना है। कहीं यह रमजान का फायदा उठाने की कोशिश तो नहीं?”

दूसरी तरफ, वाममोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि निवार्चन आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और उचित तरीके से मतदान कराना सुनिश्चित करे, क्योंकि ‘राज्य में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है।’ उन्होंने कहा, “चरणों की संख्या महत्वपूर्ण नहीं है। पश्चिम बंगाल के लिए प्रासंगिक बात यह है कि क्या चुनाव पारदशीर्, समुचित तरीके से, स्वतंत्र और निष्पक्ष हो पाएगा? अगर आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और उचित तरीके से मतदान कराना सुनिश्चित करे, तो राज्य में लोकतंत्र की बहाली के लिए हम अपनी लड़ाई और मजबूती से लड़ेंगे।” बोस ने कहा कि वाममोर्चा अपने उम्मीदवारों की सूची 13 मार्च को जारी करेगा।

सुरक्षा बलों की उपलब्धता बताई वजह 
वहीं, पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब ने कहा कि राज्य में सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराने के फैसले के पीछे सबसे प्रमुख वजह सुरक्षा बलों की उपलब्धता की स्थिति रही। इसके अलावा, आफताब ने कहा कि कई ”अन्य मुद्दे भी थे।” राज्य की विपक्षी पार्टियों का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस शासनकाल में कानून-व्यवस्था की बदहाल स्थिति के कारण सात चरणों में चुनाव कराने का फैसला किया गया है।

सत्ताधारी तृणमूल ने आरोप लगाया कि केंद्र ने राज्य की स्थिति के बारे में चुनाव आयोग को गुमराह किया है। पश्चिम बंगाल में 11 अप्रैल को दो, 18 अप्रैल को तीन, 23 अप्रैल को पांच, 29 अप्रैल को आठ, छह मई को सात, 12मई को आठ और 19 मई को नौ सीटों पर मतदान कराए जाएंगे।

इस बीच, तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने 12 मार्च को अपनी चुनाव समिति की बैठक बुलाई है ताकि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर राज्य के अपने उम्मीदवारों की सूची पर फैसला कर सके। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”हमने 12 मार्च को पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के आवास पर चुनाव समिति की एक बैठक बुलाई है। हम पार्टी के उम्मीदवारों की सूची और घोषणा-पत्र पर फैसला करेंगे।”

राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 32 पर अभी तृणमूल काबिज है। आगामी चुनावों में पार्टी ने सभी 42 लोकसभा सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है।