बाबरी फैसला: आडवाणी के रथयात्रा को रोकने वाले लालू प्रसाद ने दिया बड़ा बयान!

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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाने से भाजपा का सबसे बड़ा सपना पूरा होने जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में रामजन्मभूमि की जमीन पर मालिकाना हक का फैसला दिया है।

न्यूज़ डेली पर छपी खबर के अनुसार, लेकिन बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भाजपा के ‘राम रथ’ को रोका था। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की बहुचर्चित ‘रथयात्रा’ पर विराम लगा दिया था और आडवानी को गिरफ्तार करवाया था।

यह किस्सा साल 1990 का है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ रहा था। इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक ‘रथयात्रा’ निकालने की घोषणा की थी।

इस रथयात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली थी। इसके पीछे दो वजहें थीं। एक तो नरेंद्र मोदी नेशनल मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत थे और दूसरा उनका प्रबंधन कौशल काफी अच्छा था। यहां तक कि उन्होंने वीपी सिंह से लेकर यूपी सरकार तक को रथयात्रा रोकने की चुनौती दे डाली थी।

रथयात्रा शुरू हुई, लेकिन असली ट्विस्ट बाकी था। इधर आडवाणी रथ पर सवार थे और उधर बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दिलो-दिमाग में कुछ और चल रहा था।

उन्होंने बिहार में लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने की ठान ली थी और इसके लिए पूरा प्लान बना लिया गया। आडवाणी की रथयात्रा धनबाद से शुरू होने वाली थी और उन्हें सासाराम के नजदीक गिरफ्तार करने की योजना थी। हालांकि यह योजना लीक हो गई।

बाद में धनबाद में गिरफ्तारी का प्लान बना, लेकिन अधिकारियों के बीच मतभेद के बाद यह योजना भी खटाई में पड़ गई। इस बीच आडवाणी की यात्रा का एक पड़ाव समस्तीपुर भी था। लालू यादव उन्हें यहां हर हाल में गिरफ्तार करना चाहते थे। लालकृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके थे और लालू यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उन्हें कहीं न जाने दिया जाए।

हालांकि उस शाम आडवाणी के साथ काफी समर्थक भी थे। ऐसे में उस दौरान गिरफ्तारी के बाद बवाल होने की आशंका भी थी। ऐसे में लालू यादव ने इंतजार करना ठीक समझा। इसके बाद देर रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर सर्किट हाउस में फोन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है।

फोन आडवाणी के एक सहयोगी ने उठाया और बताया कि वो सो रहे हैं और सारे समर्थक जा चुके हैं। आडवाणी को गिरफ्तार करने का यह सबसे मुफीद मौका था और लालू यादव ने इसमें देरी नहीं की।

25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी, लेकिन 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र की सियासत में भूचाल मच गया।

BJP ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसमें लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे, और सरकार गिर गई। इस रथयात्रा ने BJP को बड़ी राजनैतिक ताकत बना डाला। 6 दिसंबर, 1992 को दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया।

लेकिन करीब 29 साल बाद लालू के सुर बदल गए हैं। और लागू ने पांच सौ साल से अधिक पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर लोगों से एकता, प्रेम और भाईचारे का धर्म निभाने की अपील करते हुए कहा कि मानवता और संविधान भी हमारा धर्म है। यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शनिवार को किए गए ट्वीट में कहा गया, ‘मानवता और संविधान भी हमारा धर्म है।

हमें एकता, भाईचारे और प्रेम के साथ अपना हर धर्म निभाना है। जो भी फैसला हो उसका आदर करते हुए हर हिंदुस्तानी का निर्णय शांति,एकता और अहिंसा के मार्ग पर चलने का ही होगा। आओ मिलकर दुनिया को दिखा दें कि यह गांधी का देश है और यहां एकता का परिवेश है।’