दिल्ली दंगा: पुलिस के रोल पर उठे सवाल !

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दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की एक समिति ने कहा है कि दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस ने कई मौकों पर कोई कार्रवाई नहीं की तो कहीं दंगाइयों की मदद की और कहीं कहीं पर तो सीधे तौर पर लोगों को मारा-पीटा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

 

फरवरी में दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस ने कई मौकों पर कोई कार्रवाई नहीं की तो कहीं सक्रिय रूप से दंगाइयों की मदद की और कहीं-कहीं पर तो सीधे तौर पर लोगों को मारा-पीटा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

 

यह कहना है दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का जिसकी इस हिंसा की जांच करने के लिए बैठाई गई फैक्ट-फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंप दी है।

 

समिति का गठन नौ मार्च 2020 को किया गया था और सुप्रीम कोर्ट के ऐडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एम आर शम्शाद को इसका अध्यक्ष बनाया गया था।

 

तालाबंदी की वजह से समिति के काम पर काफी असर पड़ा और समिति जून में जांच फिर से शुरू कर पाई।

 

हिंसा-प्रभावित इलाकों में सर्वे और पीड़ितों से बातचीत के आधार पर बनाई 130 पन्नों की अपनी रिपोर्ट को समिति ने आयोग को 27 जून को प्रस्तुत किया और आयोग ने इसे 16 जुलाई को दिल्ली सरकार को सौंप दिया।

 

हिंसा में करीब 55 लोग मारे गए थे। रिपोर्ट में इन सभी के नाम, उम्र और वो किन हालात में मारे गए। इन सभी बातों का जिक्र है।

 

समिति जिन निष्कर्षों पर पहुंची है उनमें से प्रमुख हैं दिसंबर 2019 से ही हिंसा के लिए लोगों को उकसाया जाना, हिंसा का योजनाबद्ध, संगठित और टार्गेटेड होना, धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जाना और पुलिस की भूमिका पर संदेह होना।

 

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी