देश की वर्तमान स्थिति पर विचार करने के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद के मुख्य कार्यालय में मुस्लिम संस्थाओं और प्रमुख नेताओं की एक संयुक्त बैठक हुई।
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, इसमें सभी मुस्लिम संगठनों से संबंधित लोग मौजूद थे. इस बैठक में कश्मीर के संबंध में चर्चा और विचार विमर्श किया गया, जिसमें कई प्रस्ताव भी पास किए गए।
इस बैठक में मुस्लिम संगठनों ने प्रस्ताव पास किया कि देश की एकता व अखंडता हर नागरिक का पहला कर्तव्य है। किसी भी दशा में इसके साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
संविधान में समानता, सबके साथ इंसाफ और मानव अधिकारों का मकसद भी देश की एकता अखंडता की सुरक्षा है। संवैधानिक उद्देश्यों की अनदेखी करके हम देश में न तो सुख-शांति स्थापित रख सकते हैं और न ही जबरन किसी की वफादारी खरीद सकते हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है कि कश्मीर में धारा 370 को संवैधानिक स्तर पर लागू किया गया था और उसे संवैधानिक तौर पर ही वापस लिया जा सकता है। फिलहाल जो तरीका अपनाया गया है, उस पर कई सवाल उठाए गए और विरोध प्रकट किया गया है, जो कि इस समय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
हमें शीर्ष अदालत पर विश्वास करना चाहिए और उसके फैसले के अनुसार कदम उठाने चाहिए। जब तक कि यह बात साफ न हो जाए कि धारा 370 का हटाया जाना पूरी तरह संवैधानिक है या नहीं।
बैठक में कहा गया कि हमें कश्मीरी आवाम के मूलभूत अधिकारों का समर्थन, शांति व्यवस्था स्थापित करना और सामान्य जनजीवन की बहाली पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।
साभार- न्यूज़ ट्रैक हिन्दी