क्या यह दवा कोविड-19 के लिए बेहतर साबित हो सकती है ?

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कोरोना महामारी से दुनिया में लोग दहशत में और जल्द इसकी दवा या वैक्सीन के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

 

इस बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से जारी एक परिणाम में यह कहा गया है कि सस्ते और आसानी से उपलब्ध डेक्सामेथासोन से कोरान संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहे लोगों की जान बचती है।

 

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, इसके साथ ही, अध्ययन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जो लोग वेंटिलेटर पर है उसकी मौत की संभावना एक तिहाई तक कम हो गई।

 

डेक्सामेथासोन नतीजे को ब्रिटेन सरकार के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर पेट्रिएक वेल्लांस ने ‘ग्राउंड ब्रेकिंग’ बताया है, तो वहीं इंपीरियल कॉलेज लंदन ने ऐलान किया है कि वे इसीसा सप्ताह से इसका इंसानों पर ट्रायल करने जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ने मार्च में कहा था कि कोरोना वायरस के विभिन्न मरीजों पर इसके टेस्ट रेंज के लिए रिकवरी ट्रायल आरंभ किया गया, जिसमें कम डोज वाले डेक्सामेथासोन भी शामिल है। ब्रिटेन के 175 से अधिक अस्पतालों के लगभग 11,500 से अधिक मरीजों को नामांकित किया गया।

 

 

 

कुल 2104 रोगियों को एक दिन में बारी-बारी से 6mg दवा (मुंग के जरिए या फिर इंजेक्शन से) 10 दिनों तक दी गई और इन्हें उन 4321 मरीजों से तुलना की गई, जिन्हें सामान्य केयर किया गया। जिन लोगों का सामान्य तरीके से उपचार किया जाता था उनमें 28 दिनों में मृत्युदर सबसे अधिक थी।

 

इनमें 41 फीसदी को वेटिंलेशन, 25 फीसदी को ऑक्सीजन दी गई और जिन्हें सांस के लिए कुछ नहीं दिया गया ऐसे केवल 13 फीसद मरीज थे।

 

रिपोर्ट में बताया गया कि, “डेक्सामेथासोन के कारण वेंटिलेटर के एक तिहाई मरीजों की जान बची और और एक का पांचवां हिस्सा ऐसे उन रोगियों की जान बची जिसे ऑक्सीजन दी जा रही थी।

 

किन्तु, उन मरीजों को इसका कोई लाभ नहीं मिला जिन्हें सांस के लिए अलग से कुछ नहीं लगाया गया था।”