इंडिया TV ने 2017 का वीडियो दिखाकर दावा किया कि इस्लाम के उपदेशक ने जमातियों को थूकने के लिए उकसाया!

,

   

भारत में कोरोना वायरस सिर्फ़ एक बीमारी नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए एक जरिया भी बन गया है. यहां सोशल मीडिया से लेकर मुख्य धारा की मीडिया तक इस समुदाय को सिर्फ ब्लेम ही नहीं कर रही बल्कि ये भी आरोप लगा रही कि मुस्लिम जानबूझकर संक्रमण फैला रहे हैं. जबसे निज़ामुद्दीन मरकज़ को COVID-19 का हॉटस्पॉट बताया गया है, ऑल्ट न्यूज़ ने ऐसे कई पुराने छींकने और थूकने के वीडियोज़ की पड़ताल की है.

‘इंडिया टीवी’ ने 11 अप्रैल के एक ब्रॉडकास्ट में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार के 24*7 काम की सराहना की. हालांकि, चैनल ने ये दावा किया – “इस जंग में सबसे कमजोर कड़ी है जमात, जो लॉकडाउन के समय में भी बाज़ नहीं आ रही. जमात पर एक और बड़ा आरोप है थूकने का. जमात को थूकने की बीमारी कहां से लगी? किस मौलाना ने जमात को वायरस के लक्षण दिए? इसकी भी इन्वेस्टिगेशन इंडिया टीवी ने की.”

 

इस ब्रॉडकास्ट में चैनल ने एक इस्लामिक उपदेशक का वीडियो चलाया. जिन्हें ये कहते हुए सुना जा सकता है, “शैतानों के बुरे ख्यालों से बचने के लिए सूरह-इखलास पढ़कर बाईं तरफ यानि लेफ़्ट हैंड मतलब 3 मर्तबा थूकना चाहिए.” इससे पहले कि वो अपनी बात खत्म करें वीडियो को रोक दिया जाता है. बैकग्राउंड में म्यूजिक चलती है. फिर एंकर कहता हैं, “आपने जो देखा, आपने जो सुना उसपर यकीन न हुआ हो तो एक बार फिर देख लीजिए. कान खोलकर सुन लीजिये ताकि कोई कंफ़्यूज़न न रह जाए.” वीडियो को दूसरी बार चलाया जाता है. फिर ऐंकर लोगों से जो सवाल करता है वो हास्यास्पद मालूम पड़ता है. “क्यूं थूकते हैं जमाती? ये सवाल पिछले कुछ दिनों से या यूं कहें तो पिछले कुछ हफ़्तों से सबके मन में उठ रहे हैं.”

इसके बाद एंकर कहता है कि नर्सों और डॉक्टरों पर जमातियों द्वारा थूके जाने की कई ख़बरें आई हैं. वीडियो में दिख रहे उपदेशक को एंकर फ़ैज़ सईद बताते हुए सवाल करते हैं, “क्या डॉक्टरों और नर्सों पर थूकना मज़हब सिखाता है?”

 

ऑल्ट न्यूज़ के आर्टिकल के बाद इंडिया टीवी ने यूट्यूब से इस वीडियो को हटा लिया, लेकिन इसे आप नीचे देख सकते हैं.

 

 

पूरे शो के दौरान ‘इंडिया टीवी’ कोरोना वायरस फैलाने के लिए कुछ मौलानाओं पर ब्लेम करता है. ऐसे कई सवाल जो शो के दौरान इंडिया टीवी पर फ़्लैश किए गए, उसका एक उदाहरण नीचे देखा जा सकता है, “जमात के कोरोना वायरस के लक्षण के पीछे किस मौलाना का दिमाग?”

 

 

फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले तो ‘इंडिया टीवी’ द्वारा चलाया गया वीडियो 3 साल पुराना है. 25 अक्टूबर, 2017 को एक यूट्यूब चैनल IRC TV ने इसे शेयर किया था. फ़ैज़ सईद इस्लामिक उपदेशक हैं और इस्लामिक रिसर्च सेंटर (IRC) के फाउंडर हैं.

 

 

 

वीडियो का टाइटल है, “अगर किसी को अल्लाह की जात पर वसवसा – वीश्पर्स (शैतान या नकारात्मक ख़्याल) आए तो क्या करें – फ़ैज़ सईद

 

इस भाषण में फ़ैज़ सईद सबसे पहले हदीस (पैगंबर मोहम्मद की बातें) का हवाला देते हुए सलाह देते हैं कि अल्लाह के अस्तित्व पर सवाल का जब बुरा ख्याल आए तो क्या करना चाहिए. वह लोगों से सूरह-इखलास (कुरान का 112वां अध्याय) सुनने के लिए कहते हैं. “अल्लाह एक है, अल्लाह बेनियाज़ है. उसने किसी को नहीं पैदा किया उसे किसी ने पैदा नहीं किया और उसके बराबर कोई नहीं है. फिर तीन मर्तबा बायीं तरफ यानि लेफ़्ट हैंड की तरफ़ मतलब 3 मर्तबा थूककर शैतान से अल्लाह ताला की पनाहतलब करना.”

 

इसके बाद सईद एक और हदीस की बात करते हैं जो नमाज़ के दौरान बुरे ख़्याल (शैतान) को दूर करने की बात करता है. किताब ‘वासवासा : द व्हिस्परिंग ऑफ द शैतान’ में लिखा है कि पैगंबर को एक बार उनके साथी ने पूछा : “हे अल्लाह के रसूल, शैतान मेरे और मेरी नमाज़ के बीच दखल देता है और मुझे उलझा देता है,” इस पर पैगंबर ने जवाब दिया, “ये शैतान की करनी है जिसे खिन्ज़ाब के नाम से जाना जाता है. जब आप इसे महसूस करते हैं, तो अल्लाह की शरण लें और अपनी बाईं ओर तीन बार थूक दें.”

 

ऑल्ट न्यूज़ ने एक इस्लामिक स्कॉलर से बात की. जिन्होंने कहा कि थूकना मतलब असल में थूकना नहीं बल्कि ये एक जेस्चर है. “नमाज़ या ध्यान के दौरान जब शैतानी सोच किसी के दिमाग में आए तो वो सूरह-इखलास पढ़ते हैं और बायीं तरफ थूकने का इशारा करते हैं या तीन बार हवा में थू का इशारा करते हैं. ये एक तरह से विश्वास है कि अल्लाह का नाम लेने के बाद या थूकने के इशारे से शैतान शरीर से बाहर निकल जाता है.”

 

इस तरह सईद ने अपने भाषण में कुरान के कुछ पाठों का हवाला देते हुए ये सलाह दी कि नकारात्मक सोच से कैसे छुटकारा पाया जाए. इस बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि शैतान अल्लाह के अस्तित्व पर सवाल दिमाग में ला सकता है या अल्लाह को याद करने से रोक सकता है. पूरे भाषण में उन्होंने कहीं भी किसी पर थूकने के लिए नहीं कहा है.

 

‘इंडिया टीवी’ ने इस्लामिक उपदेशक का तीन साल पुराना वीडियो निकाला और ये झूठा दावा किया कि अपने भाषण में उपदेशक ने थूककर वायरस फैलाने की बात कही है. चैनल ने अपने दर्शकों को ये बात नहीं बताई कि उनके इस प्रसारण से ठीक एक दिन पहले ही सईद ने एक और वीडियो अपलोड किया था. सईद ने अपने इस वीडियो में लोगों से कहा कि कोरोना वायरस को फैलाने के लिए जानबूझ कर थूकना पाप है. उन्होंने लोगों से सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने और सोशल डिस्टेन्सिंग को फ़ॉलो करने की अपील की है.

 

 

 

31 मार्च को निज़ामुद्दीन मरकज़ कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट के तौर पर सामने आया था. इसके तुरंत बाद ये खबरें आने लगी कि तबलीग़ी जमात के सदस्य आइसोलेशन वॉर्ड में थूक रहे हैं और मेडिकल स्टाफ़ के साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं. कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया कि उन्हें मांसाहारी खाना नहीं मिलने पर वो खुले में ही शौच कर रहे हैं. हालांकि, इन घटनाओं की कोई भी तस्वीर या वीडियो सबूत के तौर पर नहीं है, साथ ही लोकल ऑफ़िसर द्वारा इन दावों को खारिज किये जाने के बाद भी चैनल ने लगातार मुस्लिम विरोधी खबरें चलाई. बेलगाम पुलिस कमिशन ने ये बात साफ़ की कि क्वारंटाइन वार्ड में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसने हेल्थ वर्कर से साथ बुरा व्यवहार किया हो या फ़िर थूका हो. AIIMS रायपुर ने भी ट्वीट कर ये बताया कि डॉक्टरों पर तबलीग़ी जमात के लोगों द्वारा थूकने के दावे सिर्फ़ एक अफ़वाह है और कुछ नहीं. सहारनपुर पुलिस ने ट्विटर के ज़रिए मरकज़ के सदस्यों द्वारा खुले में शौच करने की ‘अमर उजाला’ और ‘पत्रिका’ की खबर को फ़र्ज़ी खबर कहा.

 

ऑल्ट न्यूज़ ने कई पुराने और असंबंधित वीडियो की जांच की है जिसे मुस्लिमों द्वारा थूक कर कोरोना फैलाने के ग़लत दावों के साथ पेश किये गए थे. हालांकि अब मेनस्ट्रीम मीडिया इन ग़लत दावों को प्रसारित करने में अपनी मुख्य भूमिका निभा रही हैं. उनके इस नफ़रत से भरे हुए ब्रॉडकास्ट और रिपोर्ट्स का ही नतीजा है कि सड़कों पर मुस्लिम ठेलेवालों और सब्जी बेचने वालों की सिर्फ़ मुस्लिम होने की वजह से पीटा जा रहा है. मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार करने और उनसे सामान ना खरीदने की भी बात भी की गयी है.

 

साभार-  alt news hindi