तीस साल से विस्थापित कश्मीरी पंडित वापस चाहते हैं अपना आशियाना

   

कश्मीर से कश्मीरी पंडितों के पलायन के 30 साल पूरे होने से एक दिन पहले शनिवार को ट्विटर पर #HumWapasAayenge ट्रेंड करने लगा। इसमें  पंडितों ने उनपर हुए अत्याचार की कहानियां ट्वीट कर साझा की। साथ ही मातृभूमि पर लौटने का संकल्प भी लिया। करीब 12 घंटे तक यह हैशटैग ट्रेंड करता रहा, 44 हजार लोगों ने ट्वीट किए।

एलबम छोड़ जीवन को चुना
मेरे पास बचपन की ज्यादा तस्वीरें नहीं हैं। कश्मीर से भगाए जाते वक्त जीवन और परिवार के फोटो एलबम में किसी को चुनना था। मैंने जीवन को बचाया और एलबम वहीं बाकी सामान के साथ छूट गया। अब अपना घर छोड़े तीस साल बीत चुके हैं। लेकिन घर वापसी का मुद्दा सुलझना अभी भी बाकी है। (सुनंदा वशिष्ठ)

जहां टैगोर आए, उस घर को फूंका
कश्मीर में मेरा घर ज्ञान का भंडार था। वहां मेरे पिता ने लाइब्रेरी बनाई थी, जिसमें कश्मीर से जुड़ी सैकड़ों किताबें थीं। रवींद्रनाथ टैगोर सहित बहुत से लोगों ने लाइब्रेरी को देखा था। लेकिन 1990 में घर और लाइब्रेरी को फूंक दिया गया। कश्मीर के बिना मैं शून्य हूं। मैं यहीं रहना चाहता हूं। (आदित्य राज कौल)

घाटी को लग गई थी नजर
घाटी की फिजा में नारे गूंजने लगे थे कि काफिर यहां नहीं रहेंगे। फिर एक दिन ऐलान हुआ कि काफिर अपनी औरतों को छोड़कर कश्मीर से चले जाएं। हमें खाली हाथ अपने पुरखों का घर छोड़कर पलायन करना पड़ा। (गीतिका स्वामी)

खूबसूरत जवाब
जो भी कश्मीरी पंडित कह रहे हैं कि वे वापस आएंगे, एक कश्मीरी होने के नाते मैं उनसे कहना चाहती हूं कि आपका स्वागत है। (इफरा जान)

ऐसे मिल रहा समर्थन
विजय शेखर : #HumWapasAayenge पर आपको ट्वीट देखने चाहिए। ये बेहद भावुक और प्रेरित करने वाले हैं। मेरी प्रार्थना है कि आप लोगों की इच्छा जल्द पूरी हो।

यह कविता भी हो रही ट्रेंड
तीस साल गंवा दिए। आठ किराए की जगहों पर आसरा मिला। इनमें से किसी दीवार को अपना नहीं कह सकती। इनमें से किसी दरवाजे को अपना घर नहीं कह सकती। कश्मीर की यादों को अपने दिल में समेट कर रखा है।