भारतीय सेना प्रमुख ने कहा बिना शर्त हो भारत-तालिबान बातचीत

   

नई दिल्ली : तालिबान के साथ बातचीत में भाग लेने वाले देशों की बढ़ती संख्या के बीच, भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि यह समय भारत का तालिबान के साथ सीधे जुड़ने का है, अगर भारत का अफगानिस्तान में हित हैं। जनरल रावत गुरुवार को नई दिल्ली में एक वार्षिक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “यदि कई देश तालिबान से बात कर रही हैं, तो भारत इससे अछुता नहीं रह सकता है। यदि भारत की अफगानिस्तान में रुचि है, तो हमें इस बातचीत में शामिल होना चाहिए,”।

सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि तालिबान के साथ बातचीत बिना शर्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “यह हमारे हित में है, क्षेत्र के हित में और पाकिस्तान के हित में है।”

— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) January 10, 2019

सेना प्रमुख के बयान का भारत के विदेश मंत्रालय के साथ विरोधाभास है, जिसने कई अवसरों पर दोहराया था कि नई दिल्ली अफगानिस्तान में आधिकारिक ‘शांति और सुलह प्रक्रिया’ का समर्थन करती है, एक प्रक्रिया जिसमें इसे मुख्य धारा में शामिल कर अफगान राजनीतिक में लाने के लिए तालिबान के साथ बातचीत शामिल है।

एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी ने रूसी न्यूज एजेंसे स्पुतनिक को बताया कि भारत सीधे तौर पर तालिबान के साथ नहीं जुड़ेगा और अगर कोई समझौता होती है तो वह अफगानिस्तान के संविधान के दायरे में होगी और ‘अफगान-नीत और अफगान-स्वामित्व वाली’ होगी।

जब से भारत ने अपने सेवानिवृत्त राजदूतों, टी सी ए राघवन और अमर सिन्हा पिछले साल के नवंबर में ‘मास्को फॉर्मेट’ वार्ता में भाग लिया था, जहाँ तालिबान के सदस्य भी मौजुद थे तब से यह अनुमान लगाया गया जा रहा था कि भारत ने अफगानिस्तान पर अपना रुख पतला कर लिया है।

इस धारणा का खंडन करते हुए, विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए कहा कि ‘मॉस्को फॉर्मेट’ की बैठक – जिसमें तालिबान प्रतिनिधियों को भारत, पाकिस्तान, ईरान और चीन सहित कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ एक ही टेबल पर लाया गया था – एक अनौपचारिक स्तर पर था ‘और वह भारत सीधे तालिबान के साथ बातचीत में नहीं था।

इस सप्ताह की शुरुआत में, ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने भारत की ओर से तालिबान पर अपने देश के प्रभाव का उपयोग करने की पेशकश की। ये घटनाक्रम महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि अफ़गानिस्तान सुलह के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि राजदूत ज़ल्माय खलीलज़ाद पद संभालने के बाद अपनी पहली नई दिल्ली की यात्रा के दौरान भारत का दौरा कर रहे हैं।