भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहा है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.5 फीसदी की गिरावट आई, जबकि इससे बड़े संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा था।
कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लागू सख्त सार्वजनिक पाबंदियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की बड़ी गिरावट आई थी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड में अर्थशास्त्री (इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज) निखिल गुप्ता ने कहा कि जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट आम सहमति से बेहतर लेकिन हमारे पूर्वानुमान से नहीं।
हालांकि व्यक्तिगत उपभोग व्यय में गिरावट हमारे पूर्वानुमान के अनुरूप थी। निवेश में जोरदार सुधार हुआ लेकिन राजकोषीय खर्च बेहद कमजोर था।
साल-दर-साल के हिसाब से रियल GVA सात फीसदी गिर गया, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र ने मजबूत रिकवरी (केवल दो फीसदी नीचे) पोस्ट की।
लेकिन सेवाओं को दोहरे अंकों में अनुबंधित करना जारी रहा। पिछली तिमाही में गैर-कृषि जीवीए में 8.3 फीसदी की गिरावट आई।
चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में विशेषज्ञ की गणना के हिसाब से वित्त वर्ष 2015 से सरकारी खर्च (खपत + निवेश) में पहला तेज संकुचन आया है।
हालांकि इस दौरान निजी खर्च में गिरावट -35 फीसदी से -नौ फीसदी तक कम हुई। ये दोनों एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। जीडीपी की वृद्धि में शुद्ध निर्यात का भी हिस्सा रहा।