भारतीय रेलवे में किया गया बड़ा बदलाव, जानिए, क्या है खास?

   

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सबसे बड़ा रेलवे रिफॉर्म करते हुए मौजूदा सिस्टम को पूरी तरह बदलने का निर्णय ले लिया है।

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, बरसों पुराने रेलवे में काम करने के अंदाज में पूरी तरह बदलाव नजर आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंगलवार को कैबिनेट मीटिंग में इसे मंजूरी दे दी गई है।

इस बदलाव में रेलवे बोर्ड में अब सिर्फ पांच सदस्य होंगे। अलग-अलग 8 काडरों को मिलाकर एक काडर बनेगा। इसका नाम होगा इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस। नए बोर्ड के पांच मेंबर में चेयरपर्सन भी शामिल होंगे।

चेयरपर्सन सीईओ की तरह काम करेंगे। इसमें कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे। पहले बोर्ड में 8 मेंबर होते थे। रेलवे मैनेजमेंट सर्विस के तहत एकीकृत सिस्टम काम करेगा। नए बोर्ड में ऑपरेशन, बिजनेस डिवेलपमेंट, ह्यूमेन रिसोर्सेज, इन्फ्रास्ट्रक्चर और फाइनैंस से जुड़े मेंबर होंगे।

पिछले दिनों सरकार की ओर से गठित एक कमिटी ने रेलवे बोर्ड में अहम बदलाव का प्रस्ताव आया था। सरकार का मानना है कि बोर्ड की अलग-अलग शाखा रहने से आपस में बेहतर तालमेल नहीं हो पाता था, इससे रेलवे में योजनाओं के क्रियान्वयन में हमेशा बाधाएं आती रहीं।

फिलहाल रेलवे बोर्ड में 8 सदस्य होते हैं जो अपनी-अपनी सर्विस का प्रतिनिधित्व करते हैं। बोर्ड का चेयरमैन फर्स्ट एमंग इक्वल्स होता है। यह स्ट्रक्चर 1905 से ही चला आ रहा था।

नए सिस्टम में चैयरमैन सीईओ की तरह काम करेगा और सभी तरह के मामलों में वह फाइनल अथॉरिटी होगा। रेलवे सर्विसेज में आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट्स को पलीता लगता रहा है।

सबसे बड़ा उदाहरण ट्रेन 18 का है जहां इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल काडर के बीच खींचतान की वजह से प्रॉजेक्ट लॉन्च होने में देरी हो गई। सर्विसेज में आपसी प्रतिद्वंद्विता से बड़ा नुकसान हो रहा था।

यही वजह है कि प्रकाश टंडन कमिटी (1994), राकेश मोहन कमिटी (2001), सैम पित्रोदा कमिटी (2012) और बिबेक देबरॉय कमिटी (2012) ने सर्वेसेज के एकीकरण की सिफारिश की थी।