दिल्ली दंगों पर न्यूयार्क टाइम्स में छपे लेख की आईपीएएस एसोसिएशन ने कड़ी निंदा की है. एसोसिएसन लगातार ट्वीट कर अंग्रेजी अखबार की इस रिपोर्टिंग को पक्षपातपूर्ण, खतरनाक और झूठ का मिश्रण बताया है.
1/3 We strongly condemn the article in @nytimes on the conduct of Police in Delhi riots, which is a combination of biased reporting, dangerous innuendo and outright lies.
The article is clearly a concerted effort to denigrate and defame Indian Institutions. @PMOIndia @HMOIndia
— IPS Association (@IPS_Association) March 12, 2020
दिल्ली के दंगों में पुलिस के आचरण पर, जो पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग, खतरनाक व्यंगोक्ति और एकमुश्त झूठ का मिश्रण की हम कड़ी निंदा करते हैं.
लेख स्पष्ट रूप से भारतीय संस्थानों को नीचा दिखाने और बदनाम करने का एक ठोस प्रयास है.
पुलिस पर आकांक्षाएं थोपना आसान है, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि 2 सुरक्षाकर्मियों ने दंगों में अपनी जान गंवाई है और 70 से अधिक घायल हुए हैं.
भारत के पुलिस बल अपनी ड्यूटी करते रहेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रत्येक भारतीय की सुरक्षा हो.
भारतीय पुलिस बल पेशेवर निकाय है जो बिना किसी डर या पक्ष लिए अपना फर्ज निभाती है.
हमारे कर्मी न तो हिंदू हैं और न ही मुसलमान. वे भारतीय हैं, भारतीयों की सेवा करते हैं और महत्वपूर्ण समय के दौरान उन्होंने भारतीयों के लिए अपने जीवन भी बलिदान किया है.
बता दें कि भारतीय पुलिस एसोसिएशन समय-समय पर इस तरह के स्टैंड लेता रहता है.
न्यूयार्क टाइम्स ने क्या लिखा है
न्यूयॉर्क टाइम्स की लिखा है कि हालिया साक्ष्यों से पता चलता है कि दिल्ली पुलिस ने ‘मुस्लिमों के खिलाफ कठोर कदम उठाए’ और ‘दंगों के दौरान मुसलमानों और उनके घरों को निशाना बनाने वाले’ हिंदू भीड़ को तत्परता से से मदद की.
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता और मुस्लिम कार्यकर्ता उमर खालिद के हवाले से कहा गया है, ‘सरकार पूरे मुस्लिम समुदाय को उनके घुटनों पर लाने, अपने जीवन और अपनी आजीविका के लिए भीख मांगने की स्थिति में लाना चाहती है’
बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं जिसमें 50 से ज्यादा लोग मामरे गए हैं. तमाम संगठनों, विपक्षी दलों और लोगों का कहना है कि दिल्ली पुलिस चाहती तो दंगों को रोक सकती थी लेकिन इस दौरान वह हाथ पर हाथ धरे बैठे रही. संसद में भी इसको लेकर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. अमित शाह ने बुधवार और गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा में इसको लेकर सफाई दी है और दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल को खारिज कर उसकी पीठ थपथपाई है.