इस मुस्लिम देश ने परमाणु कार्यक्रम को लेकर दुनिया की चिंता बढ़ाई!

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ईरान ने फोर्दो के भूमिगत न्यूक्लियर प्लांट में यूरेनियम का संवर्धन तेज कर दिया है. इसके साथ ही 2015 में हुई परमाणु डील से दूर जाने होने की दिशा में उसने बड़ा कदम उठा लिया है.

ईरान सरकार के बयान में कहा गया है कि “गुरुवार के पहले मिनटों” में ही इंजीनयरों ने प्लांट के सेंट्रीफ्यूजों में यूरेनियम हेक्साफ्लुराइड गैस भरना शुरू कर दिया. ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु निरीक्षकों के टीम की एक सदस्य की आधिकारिक मान्यता भी रद्द कर दी है.

लंबे समय तक गोपनीय रहे फोर्दो संयंत्र में यूरेनियम के संवर्धन पर रोक लगाने के लिए ईरान संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को हटाने के एवज में तैयार हुआ था. बुधवार को जब ईरान ने इस संयंत्र में संवर्धन फिर से शुरू करने का एलान किया तभी से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कान खड़े हो गए हैं.

ईरान के साथ परमाणु करार में शामिल देशों ने इस पर गहरी चिंता जताई है. इस परमाणु डील से अमेरिका के बाहर चले जाने के बाद भी ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी और रूस किसी तरह इसे बचाने की कोशिश में जुटे हैं. इन देशों का कहना है कि ईरान का अपनी प्रतिबद्धताओं से एक एक कर बाहर आना परिस्थितियों को और मुश्किल बनाएगा.

यूरेनियम का संवर्धन एक संवेदनशील प्रक्रिया है. इसके जरिए परमाणु बिजली घरों के लिए ईंधन बनाने के साथ ही परमाणु हथियारों के उच्च संवर्धित विखंडनीय भीतरी हिस्से भी बनाए जाते हैं.

फोर्दो परमाणु संयंत्र शियाओं के पवित्र शहर कोम के उत्तर में पहाड़ी इलाके में है. सेंट्रीयफ्यूजों में अब यूरेनियम का संवर्धन 4.5 फीसदी तक हो रहा है जो परमाणु करार में तय की गई सीमा से ऊपर है. हालांकि हथियार बनाने के लिए जरूरी 90 फीसदी की सीमा से यह अब भी बहुत दूर है.

फोर्दो में 1044 सेंट्रीफ्यूज पहले बिना यूरेनियम गैस के ही चल रहे थे जिसकी परमाणु करार में मंजूरी दी गई थी. करार में फोर्दो को “एक परमाणु, भौतिकी और तकनीकी केंद्र” बताया गया.

2009 में अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद ईरान ने इसकी मौजूदगी को स्वीकार किया था. पश्चिमी देश आशंका जताते हैं कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मकसद हथियार बनाना है.

साभार- डी डब्ल्यू