क्या ईरान इज़राइल पर हमले की प्लानिंग कर रहा है?

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क्या ईरान इज़राइल पर हमले करने की तैयारी कर चुका है? बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है। दोनों देश में तनाव इतना अधिक हो चुका है कि दुनिया इस तरह के कयास लग रही है।

बुधवार की सुबह सीरिया की राजधानी दमिश्क़ के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट इस्राईल का हवाई हमला पिछले दो वर्षों में सबसे भीषण हवाई हमला था।

पार्स टुडे डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, सीरियाई एयर डिफ़ेंस सिस्टम ने इस्राईल के अधिकांश मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया था, लेकिन इस हमले के बाद इस्राईल और ईरान के बीच पहले से जारी तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है।

इस्राईल ने दावा किया था कि उसने इस हमले में सीरियाई और ईरानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। अमरीका के सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने के बाद, ईरान के ख़तरे को लेकर इस्राईल की चिंताओं में वृद्धि हो गई है और वह इस तरह के हमले करके एक बड़ा जोखिम मोल रहा है।

इस्राईली सेना ने दावा किया था कि यह हमला सीरियाई सीमा से ईरानी फ़ोर्सेज़ द्वारा उसके क़ब्ज़े वाले गोलान हाईट्स के निकट माउंट हेरमन पर चार मिसाइल दाग़े जाने के जवाब में किया गया। 2017 में जबसे सीरिया में आतंकवादी गुटों की पराजय का सिलसिला शुरू हुआ था, इस्राईल अकसर ईरानी और प्रतिरोधी बलों के रॉकेटों के बहाने सीरिया पर दर्जनों हमले कर चुका है।

इस्राईल का आरोप है कि ईरान, सीरिया में इस्लामी प्रतिरोधी बलों तक सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल और तकनीक पहुंचा रहा है, जो आगे चलकर उसके अस्तित्व के लिए ख़तरा बन सकते हैं। अगर हम सीरिया संकट के शुरूआती दौर 2011-2012 में आतंकवादी गुटों को मदद पहुंचाने के लिए सीरिया पर इस्राईली हमलों की बात करें तो देखते हैं कि शुरूआत में ज़ायोनी शासन बहुत ही आसानी से यह हमले किया करता था।

लेकिन 2015 के बाद जैसे जैसे सीरिया में युद्ध का पांसा सीरियाई सेना और उसके सहयोगियों की ओर पलटता गया, इस्राईल के लिए यह हमले करना मुश्किल होता गया और रूस से एस-300 मिलने के बाद तो सीरिया की वायु रक्षा शक्ति में काफ़ी वृद्धि हो गई।

आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में ईरान, हिज़्बुल्लाह और रूस ने असद सरकार की मदद की और दाइश की पराजय के साथ सीरियाई सेना की शक्ति में पहले से कहीं अधिक इज़ाफ़ा हो गया। इस्राईल को यह डर सता रहा है कि फ़िलिस्तीन में हमास और इस्लामी जेहाद और लेबनान में हिज़्बुल्लाह के बाद अब ईरान, सीरिया में उसके ख़िलाफ़ प्रतिरोध का एक तीसरा मोर्चा खोल देगा।

सीरिया में इस्राईल के हवाई हमलों से सीरियाई सेना या प्रतिरोधी मोर्चे की ताक़त कमज़ोर पड़ जाएगी तो यह दिन में सपना देखने से कम नहीं है। इस्राईली सेना ने अपने प्रधान मंत्री बिनयामिन नेतनयाहू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से और हाल ही में नई सरकार के गठन में राजनीतिक पार्टियों की असफलता से उत्पन्न हुए संकट से आम लोगों का ध्यान हटाने के लिए भी सीरिया, लेबनान और इराक़ में हमलों का जोखिम मोल लिया है।

इन हमलों के बावजूद, इस्लामी प्रतिरोधी मोर्चा ने केवल इस्राईल से दो दो हाथ करने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा है। वहीं ईरान ने भी जून में अमरीका के ग्लोबल हॉक ड्रोन को गिराकर क्षेत्र में अपने तेवर दिखा दिए हैं।

इसलिए कहा जा सकता है कि क्षेत्र में दो ध्रुवों के बीच जारी यह संघर्ष अब तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है। यहां यह बात पूरे विश्वास से कही जा सकती है कि शक्ति का संतुलन अब बदल रहा है और लड़ाई के नियम भी। ईरान किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने से नहीं चूकेगा।