ईरान बनाने जा रहा है रॉबर्ट से लैस ज़ंगी स्पीडबोट्स!

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ईरान ने जल्दी ही ऐसी युद्धक स्पीडबोट्स बनाने जा रहा है, जो मानव रहित होगी और उसकी रफ़्तार 100-नॉट प्रति घंटा (समुद्री मील) होगी।

100 नॉट की रफ़्तार से चलेगी
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति फ़ोर्स आईआरजीसी के कमांडर रियर एडमिरल अली रज़ा तंगसीरी ने घोषणा करते हुए कहाः ईरानी इंजीनियर और विशेषज्ञ ऐसी स्पीडबोट्स बना रहे हैं, जो एक घंटे में 100 नॉट की रफ़्तार से चलेंगी।

नयी तकनीक का इस्तेमाल
हाल ही में ईरान द्वारा बनाए जाने वाले हथियारों की श्रृंखला में यह नवीनतम घोषणा है जिसने अमरीका और उसके सहयोगियों को चिंता में डाल दिया है। इसलिए कि अमरीका को डर है कि इलाक़े में मौजूद उसके युद्धपोत इन छोटी और तेज़ रफ़्तार कश्तियों के झुंड की भेंट चढ़ सकते हैं।

मानव रहित होगा
कुछ ही दिन पहले आईआरजीसी के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने कहा था कि इन युद्धक कश्तियों की महत्वपूर्ण विशेषताओं में उनका रडार में न आना और मानव रहित होना है।

शायद दुनिया का कोई भी रणनीतिकार पिछले दशक यह सोच भी नहीं सकता था कि ईरानियों ने जो स्पीडबोट्स फ़ार्स खाड़ी में उतारी हैं, वह एक दिन युद्ध के समीकरणों और अमरीका की रणनीति को बदलकर रख देंगी।

अमेरिका की चिंता बढ़ी
ईरान की इन तेज़ रफ़्तार युद्धक कश्तियों से डर के कारण ही अमरीका अपनी रक्षा रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर हो गया और फ़ार्स खाड़ी में बने रहने के लिए उसे भारी ख़र्च करना पड़ रहा है।

लेकिन फ़ार्स खाड़ी में लड़ाई के मोर्चे पर आईआरजीसी की रणनीति हमेशा से ही एक क़दम आगे रही है और अब उसने जल्दी ही अत्यधिक तेज़ रफ़्तार और रोबोट बोट्स को समुद्र में उतारने की घोषणा कर दी है।

ईरानी कमांडर का कहना था कि आईआरजीसी के पास इस वक़्त भी दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार स्पीडबोट्स हैं और निकट भविष्य में तेहरान 90-नॉट से अधिक की रफ़्तार वाली बोट्स बना लेगा।

ईरान के पास 1,500 से अधिक युद्धक स्पीडबोट्स हैं, जो एंटी-टैंक मिसाइलों, रॉकेट लांचरों, मशीन गनों और कई अन्य महत्वपूर्ण हथियारों से लैस हैं।

यह कश्तियां ईरान की उस रणनीति का आधार हैं जो दो दृष्टिकोणों को जोड़ती हैं: पुराने ज़माने का गुरिल्ला युद्ध और इक्कीसवीं शताब्दी की झुंड टैक्टिक्स।

ईरानी स्पीडबोट्स फ़ार्स खाड़ी में अपने लक्ष्यों पर अचानक तेज़ी से हमला करेंगी। वे अपनी गति और संख्या का लाभ उठाकर झुंड के रूप में अपने दुश्मन पर झपट पड़ेंगी, एक ऐसा ही रणनीति ड्रोन विमानों के लिए भी विकसित की जा रही है। ईरान की यह रणनीति बहुत ही कारगर है, क्योंकि उसके पास अमरीका जैसे बड़े विमान वाहक युद्धपोत और हमलावर बेड़े नहीं हैं।