इराकी एयरबेस पर अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर एक और रॉकेट हमले की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने ईरान पर सख्त नाराजगी जाहिर की है।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, पोम्पिओ ने ट्वीट किया कि इन हमलों से इराक की संप्रभुता खतरे में है। हालांकि, रविवार को इराक के इस हमले की जिम्मेदार किसी ने नहीं ली थी।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि अल-बलद बेस में अमेरिकी ठेकेदार के साथ-साथ अमेरिकी वायु सेना की एक छोटी टुकड़ी भी थी, लेकिन ज्यादातर को अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी के बाद खाली करा लिया गया था।
उधर, इराक में अमेरिकी एयरबेस पर देर रात हुए हमले के बीच अमेरिका ने ईरान को सख्त चेतावनी दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरानी सरकार प्रदर्शनकारियों की सामूहिक हत्या की बात नहीं सोचे।
चेतावनी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यदि ईरान बातचीत की पहल करता है तो इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि बातचीत की पहलकदमी पूरी तरह ईरान के रवैये पर निर्भर करेगी।
इसके लिए ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिशों से बाज आना होगा। खास बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय आया है जब एनएसए रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा था कि ईरान के पास ट्रंप प्रशासन से बातचीत के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है।
बता दें कि रविवार देर रात को इराक में अमेरिकी वायुसेना के अड्डे पर फिर आठ रॉकेट हमले किए गए। रिपोर्टों में कहा गया है कि ताजा हमले में इराकी वायु सेना के दो अधिकारी और दो सैनिक घायल हुए। हालांकि, गनीमत यह रही कि अमेरिकी सेना का कोई भी जवान इसकी चपेट में नहीं आया।
सेना ने अपने बयान में कहा कि बगदाद से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित अल-बलाड एयरबेस पर कत्यूशा श्रेणी के आठ रॉकेट गिरे। मालूम हो कि अमेरिका द्वारा कासिम सुनेमानी के खात्मे के बाद अमेरिकी ठिकाने को निशाना बनाकर यह तीसरा हमला किया गया।
इसके पूर्व हुए हमले में ईरानी मीडिया ने 80 लोगों के मारे जाने का दावा किया था। हालांकि इस हमले में कोइ्र भी अमेरिकी हताहत नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा था कि हमारी महान सेनाएं किसी भी एक्शन के लिए सदैव तैयार रहती हैं। मालूम हो कि सुलेमानी के मारे जाने के बाद ईरान ने बदला लेने की चेतावनी दी थी और अमेरिका को क्षेत्र से अपनी सेनाएं वापस बुला लेने को कहा था।
बताया जाता है कि ताजा हमले में कोई अमेरिकी इसलिए हताहत नहीं हुआ क्योंकि तनाव के बाद अधिकांश सैनिकों ने एयरबेस छोड़ दिया है।