ईरान- अमेरिका तनाव: क्या सऊदी अरब के डर से पाकिस्तान नहीं ले रहा है खुलकर फैसला?

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जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाए जाने के बाद ईरान उन मुल्‍कों में था, जिसने इस फैसले का खुलकर विरोध किया था। इस तरह वह पाकिस्‍तान के विरोध के साथ दृढ़ता से खड़ा था।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, इसके बावजूद पाकिस्‍तान अमेरिका और ईरान के संघर्ष में तेहरान का खुलकर समर्थन नहीं कर पा रहा है। आखिर इसके पीछे पाकिस्‍तान की बड़ी मजबूरी क्‍या हो सकती है।

यह एक दिलचस्‍प कूटनीतिक मामला है।पाकिस्‍तान द्वारा ईरान का खुलकर समर्थन न दिए जाने के पीछे उस देश का नाम है, जिसके चलते पाक चाह कर भी ईरान का समर्थन नहीं दे सकता है। आइए हम आपको बताते हैं पाकिस्‍तान की उस विवशता को, उसकी लाचारी को।

 

ईरान और वाशिंगटन के बीच बढ़ते तनाव में सऊदी अरब भी तेहरान के निशाने पर है। इस समीकरण से पाकिस्‍तान बहुत अच्‍छे से वाखिब है। अगर तनाव से दोनों मुल्‍कों के बीच युद्ध जैसे हालात बने तो तेहरान सऊदी को छोड़ने वाला नहीं है।

इस सत्‍य को पाकिस्‍तान कभी बर्दास्‍त नहीं कर सकेगा। क्‍योंकि सऊदी अरब और पाकिस्‍तान की गाढ़ी दोस्‍ती दुनिया में जगजाहिर है। दूसरे, सऊदी का अमेरिका के साथ काफी करीबी हित जुड़े हुए हैं।

 

अमरीका ने अगर ईरान में किसी भी तरह का हमला किया या युद्ध जैसे हालात पैदा किए तो उसका नुक़सान सऊदी अरब को सबसे ज़्यादा होगा।

 

ईरान सऊदी अरब को जरूर निशाने पर लेगा, जिससे अमरीका के हित जुड़े हुए हैं। कई अमेरिकी सैन्‍य अड्डे सऊदी में हैं। ऐसे में पाकिस्‍तान किसी हाल में सऊदी को संकट में नहीं डाल सकता ।