संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शुक्रवार को सिविल सेवा 2020 के अंतिम परिणामों की घोषणा की। कुल 761 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है।
हालांकि 31 मुस्लिम उम्मीदवार सफल उम्मीदवारों की सूची में स्थान हासिल करने में सफल रहे हैं, लेकिन यह सवाल अनुत्तरित रहा कि ‘क्या सिविल सेवा परीक्षा में मुसलमानों का प्रदर्शन संतोषजनक है?’।
परिणामों का विश्लेषण करने पर, यह पाया गया कि मुस्लिम उम्मीदवार कुल सफल उम्मीदवारों का केवल 4.07 प्रतिशत हैं। प्रतिशत 2019 में 5.3 से गिर गया है।
सिविल सेवा 2019 में, 829 उम्मीदवारों ने अंतिम चयन सूची में अपना नाम पाया है। इनमें से 44 मुसलमान थे।
पहले के वर्षों में भी, प्रतिशत 2 से 6 के बीच था, इस तथ्य के बावजूद कि भारत में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 2011 की जनगणना के अनुसार 17.22 है।
पिछले पांच वर्षों में चुने गए मुसलमानों की संख्या की सूची नीचे दी गई है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा
यूपीएससी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के लिए चयन अधिकारियों के लिए तीन चरणों प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार में सालाना सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है।
देश की प्रतिष्ठित सिविल सेवाओं का हिस्सा बनने के लिए हर साल लाखों उम्मीदवार परीक्षा देते हैं।
हालांकि, प्रारंभिक परीक्षा क्वालिफाइंग प्रकृति की होती है, लेकिन परीक्षा में बैठने वाले लाखों उम्मीदवारों में से केवल कुछ हजार छात्र ही इसे पास करते हैं।
जो प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं वे मुख्य परीक्षा के लिए पात्र हो जाते हैं।
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