दुनिया की सभी मुस्लिम देशों से यूंही टक्कर नहीं लेता है यह दुश्मन देश!

   

देश के नियमों के मुताबिक 18 साल की उम्र तक सभी यहूदी इजरायली नागरिकों को राष्ट्रीय सेवा पूरा करना जरुरी है

इजरायल के बनने से पहले ही ये सुनिश्चित कर लिया गया था कि इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) में महिलाओं का प्रतिनिधित्व जरुरी है। देश के नियमों के मुताबिक 18 साल की उम्र तक सभी यहूदी इजरायली नागरिकों को राष्ट्रीय सेवा पूरा करना जरुरी है।

चाहे वो कोई भी हो, स्त्री या पुरुष। सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी लड़ाई के मैदान में होना जरुरी है। यहां तक की नाज़ियों के खिलाफ 1948 में हुई स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं ने युद्ध के मैदान में अहम् भूमिका निभाई थी।

सेना में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के अलावा शीर्ष पदों पर भी महिलाओं की नियक्ति आम बात है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, उनकी सेना की नौकरियों में 92% से ज्यादा नौकरियां महिलाओं के लिए खुली हैं। इसमें फाइटर पायलट, पैदल सेना के अधिकारी, नौसेना के कैप्टेन इत्यादि का पद महिलाओं के लिए खुला है।

सेना में भले महिलाओं को सम्मान मिलता है लेकिन नागरिक नौकरियों में उनसे भेदभाव किया जाता है। इजराइल में महिला और पुरुषों की मजदूरी का अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन 66% कम पैसे मिलते हैं। यह आंकड़ा चौंका देने वाला है क्योंकि पिछले तीस सालों में इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है

एबीसी के अनुसार, भले ही 65% राज्य कामगार महिलाएं ही हैं लेकिन सीनियर मैनेंजमेंट के लेवल पर उनकी उपस्थिति न के बराबर है। असल में 106 सरकारी अधिकारियों में से सिर्फ चार में ही महिला डायरेक्टर हैं। पुरुष प्रबंधकों की तुलना में महिलाओं को औसत मासिक वेतन 73% ही मिलता है।

महिला के गर्भपात के लिए यहां की सरकार भुगतान करती है। हरेत्ज़ के मुताबिक 2014 में, इजरायली कैबिनेट ने फैसला सुनाया कि चाहे कोई परिस्थिति हो सरकार देश की 20 से 33 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए कानूनी गर्भपात का भुगतान करेगी।

हालांकि देश में गर्भपात समितियां हैं जो गर्भपात का कराना है या नहीं इसका निर्णय करती हैं। लेकिन वे लगभग सभी अर्जियों को मंजूरी दे देते हैं और अभी ये खत्म नहीं हुआ है।

डेली न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, देश में गर्भपात कानून के मुताबिक एक महिला अपनी गर्भावस्था के 40 सप्ताह के अंदर इस प्रक्रिया को पूरी कर सकती है। अगर ये कोई नाबालिग लड़की है तो उसे गर्भपात कराने के लिए अपने माता-पिता की सहमति की जरुरत नहीं है।

इज़राइल के यही कुछ प्रमुख कारण हैं जो उसे अन्य देशों से अलग करते हैं। हिटलर ने अपने समय मे यहूदियों का नामोनिशान समाप्त कर दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होते होते इज़राइल एकमात्र ऐसा देश था जो यहूदी था, अतः इसको भी समाप्त करने की साजिशें चल रही थी। इन्ही साजिशों से बचने के लिए आज इज़राइल ने अपनी आंतरिक सुरक्षा इतनी मजबूत कर ली है कि कोई परिन्दा भी उनकी सीमा में पर नही मार सकता।