लीबरमान, जिसने नेतन्याहू को बहुमत हासिल होने से रोका!

   

आज बेन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ खड़े दिख रहे अनुभवी इस्राएली नेता अविग्दोर लीबरमान कभी उनके करीबी सहयोगी रह चुके हैं। चुनावी नतीजे अस्पष्ट रहने के बाद नया प्रधानमंत्री वही बनेगा जिसका लीबरमान साथ देंगे।

डी डब्ल्यू पर छपी खबर के अनुसार, पांच महीने में दूसरी बार इस्राएल में चुनाव कराने में लीबरमान की अहम भूमिका रही। इस बार के नतीजे भी किसी एक पक्ष के समर्थन में नहीं आए हैं। लिकुद पार्टी के मुखिया नेतन्याहू और ब्लू एंड वाइट के बेनी गांज में से कोई भी बहुमत नहीं पा सका है।

ऐसे में 120 सीटों वाली संसद में लीबरमान के समर्थन के बिना किसी की भी सरकार बनना मुश्किल है। इस तरह देखा जाए तो इन चुनावों में बिना खड़े हुए ही जो विजेता बना है वह खुद लीबरमान ही हैं।

नेतन्याहू की कैबिनेट में रक्षा मंत्री रह चुके लीबरमान ने अप्रैल के चुनावी नतीजों के बाद उनके नए गठबंधन का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया था। उन्होंने बेन्यामिन पर अति-रुढ़िवादी यहूदी पार्टियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और उनसे दूरी बना ली।

उनकी एक सीट के कारण ही नेतन्याहू संसद में अपना बहुमत साबित नहीं कर सके। इसके बाद भी नेतन्याहू ने किसी और को अपनी जगह खड़ा कर सरकार बनाने के बजाए संसद को भंग कर दिया और दोबारा चुनाव करवाने की घोषणा कर दी। इसका बदला देने के लिए नेतन्याहू ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लीबरमान पर जम कर निशाना साधा।

अब हालात पलट सकते हैं. एक्जिट पोल की मानें तो लीबरमान की यिस्राएल बाइतेनू पार्टी संसद में 8 से 10 सीटें जीत सकती है। उन्होंने अपना चुनाव प्रचार अभियान देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बचाए रखने के नाम पर चलाया और एक सेकुलर गठबंधन सरकार बनाने का वादा किया था।

उन्होंने “इस्राएल को फिर से सामान्य बनाने” का नारा दिया है। नतीजे आने के बाद लीबरमान ने पार्टी मुख्यालय पर कहा, “हमारे सामने केवल एक विकल्प है: एक विस्तृत, उदार, राष्ट्रीय सरकार बनाने का, जिसमें यिस्राएल बाइतेनू, लिकुद और ब्लू एंड वाइट सब हों।