आखिर दुनिया में सबसे चालाक खुफिया एजेंसी माना जाता है मोसाद?

   

इस्राईल में ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद को एक पवित्र संस्था के रूप में देखा जाता है जिसके बारे में किसी को कोई बात करने का अधिकार नहीं है।


यह जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जाती कि उसके कर्मचारियों की संख्या कितनी है और इस संस्था में कितनी महिलाएं काम करती हैं। यह भी किसी को नहीं मालूम कि इसका सालाना बजट क्या है। इस्राईली अख़बार हाआरेट्ज़ ने एक अनुमान लगाया कि मोसाद का सालाना बजट जार्डन और लेबनान जैसे देशों के कुल सालाना बजट का कई गुना है। यह भी महत्वपूर्ण बात है कि यह ख़ुफ़िया एजेंसी रक्षा मंत्री या गृह मंत्री के बजाए डायरेक्ट प्रधान मंत्री को रिपोर्ट करती है।

मोसाद में कितनी महिलाएं काम करती हैं इसके बारे में कोई जानकारी लीक नहीं होने दी जाती हालांकि दो महिलाएं तो शीर्ष तक पहुंच गईं। इनमें एक एलीज़ा मैगेन ह्लीफ़ी हैं जिन्होंने हाल ही में मोसाद से रिटायर्मेंट लिया। यह महिला मोसाद के डिप्टी डायरेक्टर के पद तक पहुंच गई। सीमा शाइन नामक महिला ने भी तरक्क़ी की और मोसाद की रिसर्च युनिट की चीफ़ बन गई। वह भी रिटायर हो चुकी हैं और अब तेल अबीब युनिवर्सिटी के राष्ट्रीय सुरक्षा केन्द्र में रिसर्चर के रूप में कार्यरत हैं।

पहली बार यह हुआ कि मोसाद में काम करने वाली पांच महिलाओं ने ख़ुफ़िया सेवाओं के बारे में कुछ राज़ खोले। उन्होंने बताया कि इस्राईल में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर महिलाओं से कैसी ख़ौफ़नाक सेवाएं ली जाती हैं। इस्राईली अख़बार यदीऊत अहारोनोत ने मोसाद के लिए बेहद ख़तरनाक मिशन अंजाम देने वाली महिलाओं के बयान छापे। ईवरात नामक इस्राईली एजेंट ने बताया कि मोसाद के अंदर हमें बस दोस्ती करने का अधिकार होता है इससे आगे की अनुमति नहीं दी जाती, अगर यह बात आम हो जाए कि उन्होंने यह सीमा तोड़ी है तो उनका जीवन समाप्त हो सकता है। अयाला नामक एजेंट का कहना था कि उसने इस्राईल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने पति और तीन बच्चों को हमेशा के लिए छोड़ दिया। जब उसने उन्हें आख़िरी बार देखा तो वह रात का समय था और सब सो रहे थे।

मोसाद के पूर्व अफ़सर तामीर बार्दो कहते हैं कि मोसाद की महिला एजेंट बड़ी असाधारण हैं। वह लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी हर इच्छा कुचल देने में पुरुषों से अधिक सक्षम नज़र आती हैं। वह हालात की नज़ाकत को पुरुषों की तुलना में अधिक गहराई से और जल्दी समझ लेती हैं।

यह भी सब जानते हैं कि इस्राईल की पूर्व मंत्री ज़िपी लिवनी मोसाद को मशहूर एजेंट थीं। उन्होंने मोसाद के लिए यूरोप में काम किया। 1980 से 1984 के बीच उन्होंने यूरोपीय देशों में निर्वासन का जीवन व्यतीत करने वाले फ़िलिस्तीनी नेताओं का सुराग़ लगाया और उनकी हत्या में बड़ी भूमिका निभाई।

विशेष रूप से फ़िलिस्तीन के मशहूर नेता मामून मरीश की हत्या में लिवनी का बड़ा रोल रहा। उस समय मामून एथेंस में थे और फ़िलिस्तीनी काज़ के लिए काम कर रहे थे। 20 अगस्त 1980 की बात है कि मोटर साइकिल पर सवार दो लड़के उनके क़रीब आए। उस समय वह अपने घर के क़रीब अपनी गाड़ी पार्क करने की कोशिश कर रहे थे। लड़कों ने उनकी गाड़ी का दरवाज़ा खोला और दो रिवाल्वरों से उन पर गोलियों की बरसात करके फ़रार हो गए। यह पूरा आप्रेशन दो मिनट में ख़त्म हो गया।

लिवनी ने फ़्रांस में रह कर अरब नेताओं की जासूसी की और स्पेशल टीम का हिस्सा थीं। उन्होंने कई अरब नेताओं के घरों में काम किया। लिवनी ने इन नेताओं से यौन संबंध भी बनाए और इस तरह महत्वपूर्ण राज़ मालूम कर लिए।

मोसाद के जासूसों ने इराक़ के पूर्व तानाशाह सद्दाम के परमाणु कार्यक्रम को नाकाम बनाने में भी भूमिका निभाई। जून 1980 में एक इराक़ी परमाणु वैज्ञानिक अपने होटल के कमरे में मुर्दा पाया गया था। इस हत्या में भी मोसाद का नाम उछला था।

होटल में काम करने वाली उस लड़की की भी हत्या कर दी गई जिसने सबसे पहले इराक़ी परमाणु वैज्ञानिक की चीख़ें सुनी थीं। इस पूरे मामले में संदेह की सुई लिवनी पर केन्द्रित हुई थी। मगर लिवनी की प्रवक्ता ने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार किया और कहा कि लिवनी मोसाद में अपनी सेवा के दौरान अंजाम दी गई कार्यवाहियों के बारे में कुछ भी बताना पसंद नहीं करतीं।

मगर अब स्थिति यह है कि इस्राईल के सामने बेहद शक्तिशाली मोर्चा तैयार हो गया है जिसका नेतृत्व ईरान कर रहा है और मोसाद तथा सीआईए जैसी सारी ईरान विरोधी एजेंसियां हसरत से हाथ मल रही हैं।