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इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान दाराश ने अपनी एक लेख में ईरान के सामने इस्राईल की 5 बुनियादी हार का जायज़ा लिया है।

लीमूर अवैध अधिकृत बैतुलमुक़द्दस में हेब्रू यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हैं। वह इस्राईल हायोम समाचार पत्र में लिखती हैं कि ईरान के सामने इस्राईल की पहली हार तीन चरणों में पूरी हुई।

पहला चरण सन 2010 में थी जब इस्राईली प्रधानमंत्री नेतेन्याहू और रक्षा मंत्री एहुद बाराक द्वारा ईरान के खिलाफ सैन्य अभियान के प्रस्ताव का इस्राईली सेना ने विरोध किया। विरोध करने वालों में मोसाद के तत्कालीन प्रमुख ” मईर डेगान” और तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ ” गाबी इश्कनाज़ी” आगे-आगे थे।

हिब्रू यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र पढ़ाने वाली प्रोफेसर समीमियान लिखती है कि दूसरा चरण वह था जब इस्राईली सेना के तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ ” बेनी गान्तेज़ ” ने सन 2011 में एक फिर ईरान पर सैन्य आक्रमण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

पहली हार का तीसरा चरण वह था जब ईरान पर सैन्य आक्रमण के समय को लेकर नेतेन्याहू और एहुद बाराक एक दूसरे से भिड़ गये और सैन्य आक्रमण टल गया।

इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान दाराश कहती हैं कि ईरान के सामने इस्राईल की दूसरी पराजय उस समय हुई जब ईरान के साथ दुनिया ने परमाणु समझौता किया जो उनके अनुसार ईरान द्वारा परमाणु हथियारों की तैयारी में बाधा नहीं था बल्कि उसे कुछ वर्षों के लिए विलंबित करने वाला ही था।

उन्होंने दावा किया कि इस समझौते के बाद यही समझा जाता रहा कि ईरान अगर चाहे तो एक साल के भीतर परमाणु बम बना सकता है।

इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान दाराश ने लिखा है कि इस्राईल, हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा यहां तक कि प्रस्ताव क्रमांक 2331 जारी होगा जिसकी वजह से ईरान को यह अनुमति मिल गयी कि वह वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए यूरेनियम का संवर्धन करके एक परमाणु देश बन जाए।

इस प्रकार प्रतिबंध खत्म किये जाने से ईरान को अपने 100 अरब डॉलर वापस मिले गये जिसका उसकी अर्थ व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान के अनुसार ईरान के सामने, इस्राईल की तीसरी हार, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर उसकी प्रतिक्रिया में नज़र आयी। नेतेन्याहू ने इस प्रकार से इस समझौते का विरोध किया जैसे वह अपनी व्यक्तिगत राय प्रकट कर रहे हों।

उस समय उनके प्रतिस्पर्धी ” इस्हाक़ हर्त्ज़ोविग” ने कहा था कि नेतेन्याहू, ईरान के परमाणु समझौते के विरोध में सीमा पार कर रहे हैं। इसी प्रकार एहुद ओल्मर्ट और याईज़ लापीद ने कहा कि नेतेन्याहू ने उस समय अमरीकी कांग्रेस में अपने भाषण से तेल अबीव व वाशिंग्टन के संबंधों को खराब कर दिया।

ईरान द्वारा परमाणु समझौते के पालन की परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी आईएईए द्वारा बार बार पुष्टि के बावजूद यह इस्राईली टीकाकार लिखती हैं कि ईरान के सामने इस्राईल की चौथी हार यह थी कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन किया।

समझौते के अनुसार 8 टन संवर्धित यूरेनियम को ईरान से बाहर निकालना था लेकिन इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि ईरान ने यह काम किया था।

इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान दाराश लिखती हैं कि ईरान के सिलसिले में इस्राईल की पांचवी हार उस समय हुई जब इस्राईल ने, ईरान के सैन्य परमाणु कार्यक्रम से पर्दा हटाया, अमरीका इस समझौते से निकल गया और ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिये गये। इन सब के बावजूद वरिष्ठ पत्रकार और संसद के वामपंथी सदस्य यथावत इस्राईली सरकार को कटघरे में खड़ा किये हैं।

इस्राईली टीकाकार, लीमूर समीमियान लिखती हैं कि ईरान के सामने यह पांचों पराजय इस लिए इस्राईल को देखना पड़ी हैं क्योंकि इस्राईली राजनेता, अपने राजनीतिक व दलीय प्रतिस्पर्धाओं को किसी भी अन्य युद्ध से अधिक महत्व देते हैं।

याद रहे हालिया दिनों में इस्राईली मीडिया में ईरान के सामने इस्राईल की नाकामियों पर खुल कर चर्चा हो रही है। इसी तरह यह भी कहा जा रहा है कि इस्राईल, ईरान के सामने बेहद असुरक्षित है और इस्राईल के पास न तो ईरान के ड्रोन विमानों को रोकने का कोई तरीका है और न ही उसके मिसाइलों से बचने का कोई रास्ता है।