इजराइल में चुनाव के बाद सत्ता में आई समझौता सरकार के खिलाफ देश के लोग कोरोना महामारी के बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कड़ा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
न्यूज़ प्लेटफार्म पर छपी खबर के अनुसार, इस समझौता सरकार के तहत बेंजामिन नेतन्याहू अगले 18 महीने तक इजराइल में प्रधानमंत्री का पद भार संभालेंगे जबकि अगले महीने उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत कार्रवाई होने जा रही है।
दरअसल, नेतन्याहू ने ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के नेता बेन्नी गेंट्ज़ को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया था।
जिसके बाद बदलते राजनीतिक हालात देखने को मिले और नेतन्याहू और बेन्नी गेंट्ज़ ने गठबंधन के एक समझौते पर दस्तखत किए हैं जिसके तहत दोनों के बीच प्रधानमंत्री पद को लेकर 18-18 महीने साझा करने के लिए सहमति बनी है।
प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया कि जब तक नेतन्याहू के खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है तब तक वो प्रधानमंत्री का पद छोड़ दें।
उनका कहना है कि पद पर रहते हुए नेतन्याहू जज और न्यायिक अधिकरियों की नियुक्ति पर फैसला लेंगे, जिसका इस्तेमाल वो केस से बचने के लिए कर सकते हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये ‘लोकतंत्र को कुलचना’ है।
नेतन्याहू के खिलाफ अगले महीने दोखाधड़ी, विश्वासघात और घूसखोरी के आरोप हैं। नेतन्याहू इन आरोपों का खंडन करते आए हैं।
इज़राइल के महाधिवक्ता ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर पिछले साल नवंबर में भ्रष्टाचार के तीन मामलों में आरोप तय किए थे।
इज़राइल के राजनीतिक इतिहास में पहली दफा ऐसा हुआ है कि किसी इज़राइली प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उस पर आपराधिक आरोप लगे।
बीते दिनों रैबिन स्क्वायर फेस मास्क पहने और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए प्रदर्शन कर रहे लोगों से भरा रहा है। ये लोग नेतन्याहू के खिलाफ काले झंडे, पोस्टर लेकर खड़े हुए हैं। यहां उनके खिलाफ जमकर नारे-बाजी भी देखने को मिली।
भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे नेतन्याहू को समझौता सरकार बनने से काफी बल मिला है।
ऐसे में अगर नेतन्याहू का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है तो उनकी पार्टी द्वारा न्यायिक नियुक्तिों को प्रभावित करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।