पंद्रह साल पहले, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजरायली सेपरेशन वाल को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध माना। अदालत ने 2004 में एक गैर-बाध्यकारी सलाह जारी की। इसमें कहा गया कि निर्माण बंद हो जाना चाहिए और इज़राइल को किसी भी नुकसान के लिए पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। अदालत ने माना कि इजरायल ने अपने नागरिकों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों का सामना किया, लेकिन कहा कि इजरायल सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है।
इज़राइल का कहना है कि उसने अपनी सुरक्षा के लिए दीवार का निर्माण किया। लेकिन फिलिस्तीनियों का कहना है कि इज़राइल अपनी सुरक्षा का इस्तेमाल और ज़मीन हड़पने के बहाने के रूप में कर रहा है और फ़िलिस्तीनियों को वेस्ट बैंक के कब्ज़े से बाहर निकाल रहा है। फिलिस्तिनी लोग वह जीवन नहीं जी सकते हैं जो हम एक परिवार के रूप में जीते हैं; फिलिस्तिनी लोगों के अनुसार यह सामान्य जीवन नहीं है। फिलिस्तीनियों का कहना है कि दीवार जमीन की चोरी करने के लिए बनाई गई है और इजरायल के अधिकारियों का मानना है कि दीवार सुरक्षा के लिए बनाई गई है.
संयुक्त राष्ट्र के बयानों के अनुसार, वेस्ट बैंक के लिए पहचान दस्तावेजों को रखने वाले लगभग 500 फिलिस्तीनी अल-खतीब परिवार को यह सेपरेशन वाल विभाजित करती है। इजरायल अपने बॉर्डर पर ऐसी दीवार खड़ी कर चुका है, जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा होती है। यह इतनी मजबूत दीवार है कि दुश्मन इसे भेद नहीं सकता। इजरायल का दावा है कि इस दीवार बनने के बाद से आतंकवादी वारदातों में कमी आई है।
सेंसर से लैस इस दीवार के निर्माण में दो बिलियन डॉलर यानि आज के हिसाब से 13,354 करोड़ रुपए लगे हैं। इस दीवार की लंबाई 700 किमी व ऊंचाई आठ से 10 मीटर है, जो कि अपने पूरे इलाके में ढेर सारी चेकपोस्टों से लैस है। दीवार की सुरक्षा के लिए इसे अत्याधुनिक सेंसरों, तकनीक और सीसीटीवी से भी जोड़ा गया है। इसके नीचे से सुरंग बनाना भी बहुत मुश्किल काम है। वहीं, इसकी दूसरी तरफ आधुनिक हथियारों से लैस इजरायली सेना हमेशा चौकन्नी रहती है, जो पलक झपकते ही दुश्मन को ढेर कर सकती है।
बता दें कि फिलीस्तीन और इजरायल के बीच जंग 1948 से ही चली आ रही है, जब 1948 में विभाजन हुआ और इजरायल व फिलिस्तीन दो देश बने थे। संयुक्त राष्ट्र ने 30 नवंबर, 1947 में यहूदियों और अरबों के लिए विवाद वाले इलाके में बंटवारे की योजना को सहमति दे दी थी। इसके बाद आधिकारिक रूप से इजरायल यहूदियों का देश बन गया। हालांकि, इस बंटवारे से कई मुस्लिम देश सहमत नहीं थे। इसके चलते 1967 में सऊदी अरब, जॉर्डन, सीरिया, ईराक, ईरान, इजिप्त, कुवैत और सूडान ने युद्ध छेड़ दिया था।
हालांकि इस जंग में न सिर्फ इजरायल की जीत हुई, बल्कि उसने गाजा पट्टी पर भी कब्जा कर लिया था। यही गाजा पट्टी इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दुश्मनी का कारण है और इनके बीच तबसे ही खूनी जंग चली आ रही है। हालांकि, इसका सबसे ज्यादा खामियाजा फिलिस्तीन को ही भुगतना पड़ा है।