गोगोई के राज्यसभा मनोनीत होने पर ओवैसी ने दिया बड़ा बयान!

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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है।

 

आज कें पर छपी खबर के अनुसार, केन्द्र सरकार की ओर से सोमवार देर शाम जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किया है।

 

 

इस बीच, जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘क्या यह ‘इनाम है’? लोगों को जजों की स्वतंत्रता में यकीन कैसे रहेगा? कई सवाल हैं।

 

 

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा। इस दौरान उन्होंनें कुल 47 फैसले सुनाए, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक फैसले भी शामिल हैं।

 

जस्टिस रंजन गोगोई ने कई अहम मामलों की सुनवाई की और फैसले सुनाए। उन्हें अयोध्या मामले, चीफ जस्टिस के ऑफिस को आरटीआई के दायरे में लाने, राफेल डील, सबरीमाला मंदिर और सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी जैसे मामलों पर फैसले देने के लिए हमेशा याद किया जाता है।

 

बता दें कि 18 नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने साल 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी। रंजन गोगोई ने शुरुआत में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की।

 

उनको संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का दिग्गज वकील माना जाता था। इसके बाद उनको 28 फरवर 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया। 9 सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गयाा।

 

इसके बाद, 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बना दिया गया। 23 अप्रैल 2012 को उन्हें प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया। जब दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए, तो उनकी जगह जस्टिस रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस बनाया गया।

 

1. अयोध्या मामला:- सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया।

 

शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने और मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।

 

2. चीफ जस्टिस का ऑफिस पब्लिक अथॉरििटी- जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने चीफ जस्टिस के ऑफिस को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दायरे में आने को लेकर फैसला सुनाया।

 

इसमें कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस का ऑफिस भी पब्लिक अथॉरिटी है। लिहाजा चीफ जस्टिस के ऑफिस से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी जा सकती है।

 

3. सबरीमाला मामला- जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की।

 

साथ ही मामले को सुप्रीम कोर्ट की 7 सदस्यीय बड़ी बेंच को भेज दिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा जैसा कि कोर्ट 2018 में दिए अपने फैसले में कह चुका है।

 

4. सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी: चीफ जस्टिस के तौर पर रंजन गोगोई और पी. सी. घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थीी।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सरकारी विज्ञापन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभाग के मंत्री के अलावा किसी भी नेता की सरकारी विज्ञापन पर तस्वीर प्रकाशित करने पर पाबंदी है।

 

5. अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में फैसला-  अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला चीफ जस्टिस रहते हुए रंजन गोगोई ने ही लिया था. इससे पहले तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थेे।

 

साभार- आज तक