जम्मू-कश्मीर में बैन पर बीच-बीच में समीक्षा जरूरी- सुप्रीम कोर्ट

   

उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बृहस्पतिवार को कहा कि वे राष्ट्र हित के नाम पर पाबंदियां लगा सकते हैं लेकिन समय-समय पर इनकी समीक्षा भी होनी चाहिए।

प्रभा साक्षी पर छपी खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति एनवी रमण की अगुवाई वाली एक पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रशासन रोजाना इन प्रतिबंधों की समीक्षा कर रहा है।

पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
पीठ जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा वापस लेने के बाद राज्य में लगाई गई पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया, “पाबंदियों की रोजाना समीक्षा की जा रही है।

कोर्ट ने इंटेरनेट लागू होने के बारे में पूछा
करीब 99 प्रतिशत क्षेत्रों में कोई प्रतिबंध नहीं हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल थे। पीठ ने राज्य में इंटरनेट पर लागू प्रतिबंध के बारे में पूछा।

इंटरनेट दुरुपयोग की आशंका
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने अदालत को बताया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अब भी इसलिए जारी हैं क्योंकि सीमा-पार से इसके दुरुपयोग की आशंका है। न्यायालय इन याचिकाओं पर बहस पांच नवंबर को सुनेगा।