उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बृहस्पतिवार को कहा कि वे राष्ट्र हित के नाम पर पाबंदियां लगा सकते हैं लेकिन समय-समय पर इनकी समीक्षा भी होनी चाहिए।
Supreme Court asks Government how long it intends to continue with the restriction in Jammu and Kashmir after the abrogation of Article 370. pic.twitter.com/6jc3Fw36HO
— ANI (@ANI) October 24, 2019
प्रभा साक्षी पर छपी खबर के अनुसार, न्यायमूर्ति एनवी रमण की अगुवाई वाली एक पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि प्रशासन रोजाना इन प्रतिबंधों की समीक्षा कर रहा है।
#JustIn | "For how many days will restrictions be there (in Jammu and Kashmir)? You have to come clear on this": Supreme Court to government
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— NDTV (@ndtv) October 24, 2019
पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई
पीठ जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा वापस लेने के बाद राज्य में लगाई गई पाबंदियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया, “पाबंदियों की रोजाना समीक्षा की जा रही है।
The #SupremeCourt told the #JammuandKashmir administration that they may impose restrictions in the name of national interest, but it has to be reviewed from time to timehttps://t.co/LMcanV6k0R
— Financial Express (@FinancialXpress) October 24, 2019
कोर्ट ने इंटेरनेट लागू होने के बारे में पूछा
करीब 99 प्रतिशत क्षेत्रों में कोई प्रतिबंध नहीं हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल थे। पीठ ने राज्य में इंटरनेट पर लागू प्रतिबंध के बारे में पूछा।
इंटरनेट दुरुपयोग की आशंका
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने अदालत को बताया कि इंटरनेट पर प्रतिबंध अब भी इसलिए जारी हैं क्योंकि सीमा-पार से इसके दुरुपयोग की आशंका है। न्यायालय इन याचिकाओं पर बहस पांच नवंबर को सुनेगा।