जंतर मंतर पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी व दो समुदायों में दुश्मनी पैदा करने के मामले में आरोपी पिंकी चौधरी की गिरफ्तारी पर दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार तक रोक लगा दी है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, वहीं, दूसरी तरफ अदालत ने जंतर-मंतर पर एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण व नारेबाजी के सिलसिले में गिरफ्तार तीन आरोपर्यों को जमानत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि वीडियो में काफी तीखी टिप्पणियां अलोकतांत्रिक हैं और इस देश के एक नागरकि से आपेक्षित नहीं है।
लिंक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट उद्भव कुमार जैन ने 12 अगस्त को दिए फैसले में तीन आरोपियों- प्रीत सिंह, दीपक सिंह हिंदू और विनोद शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने हाल ही में इसी मामले में गिरफ्तारी अधिवक्त एवं आरोपी अश्विनी उपाध्याय को जमानत दे दी थी।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि इस कार्यक्रम में उपाध्याय व अन्य ने एक समुदाया विशेष के खिलाफ काफी आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।
अदालत ने आईपीसी की अन्य धाराओं के अलावा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने) की धारा भी लगाई थी।
अदालत ने विडियो क्लिपिंग देखने के बाद कहा कि एक क्लिपिंग में आरोपी को एक समुदाया के खिलाफ तीखी टिप्पणियां करते हुए देखा जा सकता है।
अदालत ने कहा ऐसा इस देश के नागरिक का अलोकतांत्रिक रवैया है, जहां धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत संविधान में आत्मसात बुनियादी सुविधा के मूल्य को धारण करते हैं।
अदालत ने कहा हर व्यक्ति को अभिव्यक्त की स्वतंत्रता है, लेकिन हर अधिकार के साथ एक कर्तव्य जुड़ा हुआ है।
अदालत ने कहा धारा 153 के पीछे सिद्धांत धार्मिक सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना है और यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि जब वह खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार प्राप्त करता है तो वह धार्मिक सद्भाव को बरकरार रखे।
यह वास्तव में धर्मनिरपेक्षता का सकारात्मक पहलू है। हालांकि, आरोपियों के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किलों को फर्जी मामले में फंसाया गया है और वे मौके के समय उपस्थित नहीं थे।
साभार- अमर उजाला