क्या यहूदी फलस्तीन से निकल कर सऊदी अरब में बस रहे हैं?

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अलजज़ीरा टीवी चैनल से जुड़ी लेबनानी मूल की महिला एंकर पत्रकार ग़ादा ओवैस ने यहूदियों के फ़िलिस्तीन से निकलकर सऊदी अरब में बसने के संबंध में सवाल करने पर एक नई बहस छिड़ गई है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अलजज़ीरा का पत्रकार एंकर ग़ादा ओवैस की ओर से यहूदियों को फ़िलिस्तीन से निकलकर सऊदी अरब में बसने की सलाह दिए जाने पर अरब अरब लेखकों, पत्रकारों और सोशल मीडिया यूज़र्स की ओर से आलोचना हो रही है।

सीएनएन के अरबी भाषी चैनल के अनुसार महिला पत्रकार एंकर ने कुछ दिन पहले ही ट्वीटर पर पश्चिमी सऊदी अरब के ऐतिहासिक गांव ‘मरहबा’ की एरियल वीडियो शेयर करते हुए लिखा था कि, क्या यहूदी फ़िलिस्तीन से निकलकर अपने पैतृक गांव में बस सकते हैं?

उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए अरबी भाषा में सवाल किया कि ‘क्या यहूदी आज फ़िलिस्तीन पर कब्ज़ा छोड़कर अतीत में जिस इलाक़े में रहते थे वहां जाकर बसेंगे?’

लेबनानी मूल की महिला एंकर पत्रकार ग़ादा ओवैस द्वारा ट्वीट किए जाने के बाद इसपर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन पर यहूदियों को एक और पवित्र शहर मदीने पर क़ब्ज़ा करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।

ग़ादा ओवैस के ट्वीट पर सऊदी अरब के पत्रकार लवी अश्शरीफ़ ने यहूदियों द्वारा फ़िलिस्तीन पर क़ब्ज़ा किए जाने का एक ऐतिहासिक कारण बताया और दावा किया उनकी पवित्र पुस्तक में है कि, ‘फ़िलिस्तीन, यहूदियों की भूमि है’।

सऊदी पत्रकार ने महिला एंकर पत्रकार के सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा कि यहूदियों द्वारा अरब की धरती पर पुनर्वास कोई चमत्कार नहीं है बल्कि उन्हें उस समय अरबों ने शरण देना शुरू की जब रोम एम्पायर द्वारा उन्हें भगा दिया गया था।

ग़ादा ओवैस के ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक अन्य अरब इतिहासकार ने लिखा कि, यहूदियों ने पहले से ही मुसलमानों के पहले क़िब्ले पर ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से क़ब्ज़ा कर रखा है और अब उन्हें मुसलमानों के सबसे पवित्र काबे और मदीने शहर पर क़ब्ज़े के लिए उकसाया जा रहा है।

इसके अलावा ग़ादा ओवैस के ट्वीट पर आम अरब नागरिकों ने भी उनकी आलोचना की है। सोशल मीडिया के अधिकतर यूज़र्स ने महिला एंकर पत्रकार द्वारा उठाए गए सवाल को उकसावे का प्रश्न क़रार दिया है।

उल्लेखनीय है कि ग़ादा ओवैस ने सऊदी अरब के जिस इलाक़े की वीडियो अपने ट्वीटर पर शेयर की है वह पश्चिमी सऊदी अरब के “ख़ैबर” क्षेत्र में मौजूद है और उसे “मरहब” या “मरहबा” के नाम से जाना जाता है।

अरब इतिहास के अनुसार, यह वह स्थान है जहां 268 हिजरी में मुसलमानों और यहूदियों के बीच ख़ैबर नामक ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। यह इलाक़ा पवित्र मदीने से 150 से 170 किलीमीटर की दूरी पर स्थित है जो लगभग 1400 साल पहले यहूदियों का गढ़ हुआ करता था।

इस बीच सोशल मीडिया यूज़र्स और कुछ अरब बुद्धिजीवियों ने महिला एंकर पत्रकार के प्रश्न पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि, हो सकता है कि ग़ादा ओवैस का यह सवाल भड़काऊ और उकसावे वाला लगे लेकिन इसमें एक कड़वी सच्चाई भी है और वह यह है कि ऐसी स्थिति में कि जब ज़ायोनी शासन फ़िलिस्तीन की धरती पर लगातार अवैध तरीक़े से अपना क़ब्ज़ा बढ़ाता जा रहा है।

और उसकी इस अतिक्रमणकारी कार्यवाही में जहां अमेरिका और कुछ साम्राज्यवादी शक्तियां उसका साथ दे रही हैं वहीं ज़ायोनी शासन को अरब देशों का साथ भी मिला हुआ है, जिसमें प्रमुखता से सऊदी अरब, बहरैन और कई अन्य अरब देश शामिल हैं। इसके बारे में बस यही कहा जा सकता है कि अरब शासक जिस डाल पर बैठे हुए हैं उसे अपने ही हाथों से काट रहे हैं।