दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में रविवार शाम नकाबपोश बदमाशों ने हमला कर दिया था। इस हमले में छात्रों के अलावा कई शिक्षक भी घायल हुए। प्रोफेसर सुचित्रा सेन के सिर में काफी चोटें आई हैं। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वो कैंपस लौट आई हैं। रविवार की शाम को याद करते हुए प्रोफेसर सेन ने कहा है कि जिदंगी में शायद पहली बार उन्हें इतना डर लगा है। वो कहती हैं कि किस्मत अच्छी थी जो आज जिंदा हूं। सुचित्रा सेन ने अपने ऊपर हमले को लेकर पुलिस में भी शिकयत दर्ज कराई है।
सुचित्रा सेन ने इंडिया टुडे से एक बातचीत में कहा, जिस तरह से हमला हुआ। मैं बुरी तरह से खौफ में थी, मैंने जिंदगी में ऐसा डर महसूस नहीं किया। उस वक्त मुझे नहीं लगा था कि जिंदा भी बच पाऊंगी। मुझे लगता है कि किस्मत ही अच्छी थी जो आज सबके साथ हूं। वहीं सेन ने ये भी कहा है कि जेएनयू प्रशासन और वीसी जिम्मेदारी से भाग नही सकते हैं। जो कैंपस में हुआ है, उसकी उनको जिम्मेदारी लेनी होगी। वीसी को पद पर रहने का कोई हक ही नहीं है, वो इस्तीफा दें।
प्रोफेसर सेन ने कहा है कि जो नकाब बांधकर हमला कर रहे थे वो जेएनयू के नहीं थे। बाहरी लोगों ने हमला किया है। उनका कहना है कि हमला करने में कोई छात्र होगा, वो ऐसा नहीं मानती हैं। सेन ने बताया है कि उनको सिर में काफी चोट लगी थी। हालांकि अब वो अपनी तबीयत काफी बेहतर बता रही हैं। हमले में जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आईशी घोष को भी घायल हुई हैं। उनके सिर में काफी चोट हैं।
दिल्ली स्थित जेएनयू के कैंपस में 50-60 नकाबपोश बदमाशों डंडो और लोहे की रॉड लेकर रविवार शाम हमला कर दिया था। इस हमले में 34 छात्र और शिक्षक घायल हुए हैं। इस मामले में पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष सहित 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। ये रिपोर्ट चार जनवरी को जेएनयू के सर्वर रूम में तोड़फोड़ और सुरक्षा गार्डों पर हमला करने के आरोप में दर्ज की गई है। जेएनयू प्रशासन की शिकायत पर छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष और अन्य छात्रों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।