जेएनयू हिंसा- IIM के बाहर प्रदर्शन, मल्लिका साराभाई, विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी की शिरकत

   

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा का सोमवार को अहमदाबाद में भी विरोध किया गया। भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के बाहर विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा की और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
लोगों के हाथों में पोस्टर, बैनर भी थे। कुछ ने चरखा चलाते हुए विरोध जताया। शाम होते ही लोगों ने अपने मोबाइल फोन की लाइट दिखाकर विरोध व्यक्त किया। इस प्रदर्शन में जानी-मानी नृत्यांगना एवं सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई व विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी शिरकत की।
प्रदर्शनकारियों में शामिल बुजुर्ग महिला उमा भांभोरिया ने कहा कि जेएनयू में जो हुआ वह नहीं होना चाहिए। लोगों को बोलने की आजादी होनी चाहिए। युवा मौलिक ने कहा कि विद्यार्थियों को जिस तरह मारा-पीटा गया वह गलत है। कैंपस में यदि हिंसा हो रही है तो हमारा देश कितना सुरक्षित है यह जानना जरूरी है। महेन्द्र ने विद्यार्थियों पर हमले की कड़ी निंदा की।
ऑल इंडिया डीएसओ की सचिव रिमी वाघेला ने कहा कि उन्हें लगता है कि जेएनयू में जिस प्रकार से विद्यार्थी फीस वृद्धि और हाल में जो कानून लाए गए हैं उनका विरोध कर रहे हैं उसे दबाने के लिए इस प्रकार की हिंसा की गई है।

दोषियों पर हो कार्रवाई
केन्द्रीय विश्वविद्यालय गुजरात (सीयूजी) के प्रोफेसर संजय झा ने बताया कि जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे जो भी दोषी हैं उन पर जांच करके कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके लिए सभी जवाबदेह हैं। वे खुद जेएनयू के छात्र रहे हैं। पहले भी विरोध होते थे, लेकिन इस प्रकार की स्थिति नहीं होती थी। इससे जेएनयू सरीखे संस्थान की बदनामी हो रही है।

आईआईएम-ए निदेशक ने भी की निंदा
आईआईएम-ए के निदेशक प्रो.एरोल डिसूजा ने ट्वीट कर जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा की निंदा की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि हिंसा विश्वविद्यालय के विचार के लिए एक अभिशाप है और सभ्यता के आधार का उल्लंघन करती है। जेएनयू में कल हुई घटना आजादी के बाद की निम्न स्तर की घटना है।

विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा: साराभाई
जेएनयू में हुई घटना के विरोध में यहां पहुंची साराभाई ने कहा कि वे हिंसा को नहीं बल्कि लोकतंत्र में विश्वास रखती हैं। वे शांतिपूर्वक विरोध के समर्थन में हैं। जेएनयू वालों ने हिंसा नहीं की बल्कि बाहरी लोगों ने उन्हें आकर मारा है। विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है। लोगों को उनकी बात कहने से रोका जा रहा है। लोग डर के साए में जी रहे हैं। हमारा भारत समावेशी भारत है, हर एक का भारत है।

जेएनयू की हिंसा ध्यान भटकाने को: मेवाणी

प्रदर्शन कर रहे विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि जेएनयू केवल माध्यम है। पूरा युवा बेरोजगारी से त्रस्त है। रोटी, कपड़ा, मकान, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगार से ध्यान भटकाने को यह किया जा रहा है। जेएनयू की हिंसा कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली घटना है।

एबीवीपी ने भी किया विरोध, मंजूरी न होने से लिया हिरासत में

आईआईएम-ए के बाहर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के विद्यार्थियों ने भी प्रदर्शन किया। मंजूरी नहीं होने के चलते पुलिस ने इन विद्यार्थियों को हिरासत में ले लिया। इससे पहले जिन लोगों ने विरोध की मंजूरी ली थी। ऐसे लोगों ने एबीवीपी के विद्यार्थियों के मंजूरी बिना के विरोध का विरोध किया।
एबीवीपी के गुजरात प्रदेश सह संगठन मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि देश के शैक्षणिक परिसरों में पढाई का माहौल होना चाहिए ना कि इस प्रकार का। जेएनयू में विद्यार्थियों को अगले सेमेस्टर का फॉर्म भरने से रोका जा रहा है। यह गलत है।

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