जॉनसन एंड जॉनसन अगले साल तक बना सकती है कोविड-19 का टीका!

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अमेरिकी फार्मा कंपनीजॉनसन एंड जॉनसन (जे एंड जे) अगले साल तक कोरोना का टीका तैयार कर सकतीहै। 2021 की शुरुआत में इसका इमरजेंसी इस्तेमाल हो सकेगा।

 

 

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, कंपनी ने सोमवार को बताया कि इसके लिए एककैंडिडेट वैक्सीन वायरस चुन लिया गया है। ऐसे में इंसानों पर इसके ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी गई है।

 

इसके लिए 1 बिलियन डॉलर (करीब 7.5 हजार करोड़ रुपए)का निवेश किया जाएगा। जे एंड जे ने इसके लिए अमेरिकी सरकार के बायोमेडिकल रिसर्च डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

 

कैंडिडेट वैक्सीन (सीवी) एक तरह का इंफ्लूएंजा वायरस होता है। इसे लैब में तैयार किया जाता है। इसका कई चरणों में ट्रायल किया जाता है। सितंबर में इंसानों पर ट्रायल लिया जाएगा।

 

कंपनी के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर पॉल स्टोफेल्स बताया कि जनवरी में ही इस पर काम शुरू कर दिया गया था। कोरोना का वैक्सीन तैयार करने के लिए इबोला वायरस टीका बनाने के लिए अपनाई गई तकनीक इस्तेमाल की जाएगी।

 

स्टोफेल्स ने बताया कि उनकी टीम ने कुछ ठंडे वायरस को मिलाकर कैंडिडेट वैक्सीन बनाया है। यह कुछ हद तक कोरोनावायरस की तरह है। उम्मीद है कि यह इंसानों में कोरोना के लिए प्रतिरोधी क्षमता पैदा कर सकेगा।

 

इससे पहले कई कैंडिडेट वैक्सीन तैयार किए गए थे। 12 हफ्ते तक जानवरों परइसका ट्रायल किया गया।इसके बाद इनमें से सबसे उपयुक्त सीवी चुना गया।

 

स्टोफेल्स के मुताबिक, हमने इसका आकलन किया कि किस कैंडिडेट वायरस को अपस्केल किया जा सकता है। यह सुनिश्चित किया गया किटीका काम भी करे और इसे ज्यादा तादाद में तैयार भी किया जा सके।

 

कोरोनावायरस फैमिली के किसी भी वायरस के लिए अभी तक सफलतापूर्वक टीका तैयार नहीं किया जा सका है। हालांकि, हमें इसे तैयार करने का विश्वास है,क्योंकिहम एक ऐसी टीम के साथ काम कर रहे हैं जिसने 2002-03 के बीच 800 लोगों की जान लेने वाले सार्स वायरस के लिए टीका तैयार किया था।

 

अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना दुनिया की पहली कंपनी थी, जिसने बीते 16 मार्च को टीके का फेज-1 क्लीनिकल ट्रायल कर लिया। कंपनी के अमेरिका के नॉरवुड स्थित मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में वैज्ञानिक दिन-रात काम कर रहे हैं।

 

हालांकि,अध्यक्ष स्टीफन होज सहित दूसरे नॉन-एसेंशियल स्टाफ घर से काम कर रहे हैं।

 

स्टीफन के मुताबिक, टेस्टिंग का पहला चरण सफल रहता है तो कंपनी बड़े स्तर पर इसे बनाने में सक्षम है। कंपनी 45 लोगों पर टीके का अध्ययन कर रही है। इनके इम्यून सिस्टम नेअच्छा रिस्पॉन्स किया।