जबतक विधेयकों को बंदी रखा गया है, फ्लोर टेस्ट का कोई मतलब नहीं- कमलनाथ

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मध्य प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है, विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है और इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर को चिट्ठी लिखी है और विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की है।

 

इंंडियाटीवी न्यूज़ डॉट इन पर छपी खबर के अनुसार, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर को लिखी चिट्ठी में कहा है कि मौजूदा हालात में विधानसभा के अंदर फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक है। कमलनाथ ने कहा है कि जबतक विधायक बंदी हैं तबतक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का मतलब नहीं बनता है।

 

गवर्नर लाल जी टंडन को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस पार्टी के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखा गया है और उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, कमलनाथ ने लिखा है कि ऐसी परिस्थितियों में किसी भी फ्लोर टेस्ट का कोई भी औचित्य नहीं होगा और ऐसा करना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।

 

कमलनाथ ने लिखा है कि फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण पूर से दबावमुक्त हों।

 

पत्र में कमलनाथ ने यह भी लिखा है कि राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष का मार्गदर्शक या परामर्शदाता नहीं है। कमलनाथ ने लिखा है कि राज्यपाल विधानसभा अध्यय से यह अपेक्षा नीं कर सकता कि अध्यक्ष उस तरीके से सदन में कार्य करें जो राज्यपाल संवैधानिक दृष्टि से उचित समझता है।

 

कमलनाथ ने लिखा है कि राज्यपात तथा विधानसभा अध्यक्ष दोनो के अपने-अपने स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं। मुख्यमंत्री ने गवर्नर को लिखा है कि विधानसभा राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती और कुल मिलाकर राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम नहीं कर सकते।