कर्नाटक संकट: येदयुरप्पा का दावा- ‘पांच दिन में बना लेंगे सरकार’

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कर्नाटक के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। मामले में पांच अन्‍य विद्रोही विधायकों आनंद सिंह, के. सुधाकर, एन. नागराज, मुनिरत्न और रोशन बेग ने भी मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ के सामने अपनी याचिका पेश की है।

इन विधायकों ने लंबित याचिका में उनका पक्ष मानने की मांग की है। शीर्ष अदालत अब इन पांच बागियों की याचिका पर भी सुनवाई कर रही है। दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया है कि सरकार गिरने की स्थिति में वह पांच दिन के भीतर नई सरकार का गठन कर लेगी।

बागी विधायकों की ओर से पैरवी करते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस्‍तीफा देने वाले विधायकों पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
यदि ये पद छोड़ रहे हैं तो इनका इस्‍तीफा स्‍वीकार किया जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई में अदालत ने स्पीकर से यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। पिछली सुनवाई में अदालत ने स्पीकर से यथास्थिति बनाए रखने को कहा था।

कर्नाटक में पिछले दिनों से चल रहे सियासी घमासान का पटाक्षेप इस हफ्ते होने की उम्मीद है। कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार की अगुआई कर रहे मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी गुरुवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश करेंगे।

वहीं कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उनकी सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। हालांकि, स्पीकर ने अभी उनके इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन, मुंबई में होटल में ठहरे इन विधायकों के विश्वासमत के दौरान मौजूद रहने की संभावना कम ही है।

कांग्रेस-जदएस की तरफ से बागी विधायकों को मनाने के प्रयास विफल रहे हैं। कहा जा रहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद और अन्य नेता बागियों को मनाने के लिए उनसे होटल में मिल सकते हैं, लेकिन बागी विधायकों ने मुंबई पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर कांग्रेस के नेताओं से खतरा बता दिया। उन्होंने कहा है कि वो खड़गे, आजाद या कांग्रेस के अन्य किसी भी नेता से मिलना नहीं चाहते।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, भाजपा नेता येद्दयुरप्पा ने कहा है कि उन्हें अगले चार से पांच दिन में राज्य में सरकार बना लेने का भरोसा है। उन्होंने कहा, ‘कुमारस्वामी बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। यह बात कुमारस्वामी भी जानते हैं।

वह सदन में बढ़िया भाषण देने के बाद पद से इस्तीफा दे देंगे।’ बता दें कि पिछले साल चुनाव के बाद येद्दयुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे। 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105 सीटें मिली थी, लेकिन वह विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सके थे और विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।