कश्मीर में बंदी से अब तक कारोबार को 10,000 करोड़ का नुकसान- मीडिया रिपोर्ट

, ,

   

संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के बाद कश्मीर में पिछले तीन माह की बंदी से घाटी के कारोबारी समुदाय को 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. कश्मीर के एक उद्योग चैंबर ने यह दावा किया है.

गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को इस साल 5 अगस्त को ही निष्प्रभावी किया गया था और तब से रविवार तक 84 दिन हो चुके हैं. घाटी के मुख्य बाजार अब भी बंद हैं और सड़कों पर सार्वजनिक वाहन भी नहीं चल रहे हैं.

श्रीनगर के लाल चौक जैसे कुछ इलाकों में दुकानें कुछ घंटों के लिए खुल रही हैं, लेकिन मुख्य बाजार अब भी बंद हैं. कश्मीर चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (KCCI) के अध्यक्ष शेख आशि‍क ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं, इसलिए कितना नुकसान हुआ है, इसका पूरी तरह से अंदाजा लगाना आसान नहीं है, लेकिन यह झटका इतना बड़ा है कि इसकी भरपाई आसान नहीं है.

आशिक ने कहा, ‘कश्मीर में कारोबारियों का नुकसान 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है और सभी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. अब तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि लोग कारोबार नहीं कर रहे हैं. हाल के हफ्तों में कुछ गतिविधि नहीं देखी गई, लेकिन फीडबैक ऐसा मिल रहा है कि कारोबार फीका है.’  उन्होंने कहा कि कारोबार में नुकसान उठाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इंटरनेट सेवाएं बंद हैं.

उन्होंने कहा, ‘आज के समय में किसी भी कारोबार की बुनियादी जरूरत इंटरनेट है, जो कि उपलब्ध नहीं है. हमने गवर्नर प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी थी कि इससे कश्मीर में कारोबार प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर होगी. इसके दीर्घकालिक स्तर पर गंभीर नतीजे होंगे.

किन सेक्टर को नुकसान

कई सेक्टर का उदाहरण देते हुए आशिक ने कहा कि आईटी सेक्टर आगे बढ़ने वाला सेक्टर है. यहां से कई कंपनियां अमेरिका, यूरोप तक अपनी सेवाएं दे रही थीं, लेकिन इंटरनेट सुविधाओं के निलंबित होने से उनका कारोबार प्रभावित हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘हम यदि हैंडीक्राफ्ट सेक्टर का ही उदाहरण लें तो इसमें जुलाई से अगस्त तक ऑर्डर हासिल होते हैं और क्रिसमस-नववर्ष के आसपास माल की आपूर्ति करनी होती है. लेकिन इस बार तो ऑर्डर मिलना ही मुश्किल है. किसी तरह की कनेक्ट‍िविटी ही नहीं है, इस वजह से कोई ऑर्डर नहीं मिल पा रहा. इसकी वजह से 50,000 बुनकरों और शिल्पकारों की नौकरियां खतरे में हैं.’  KCCI के प्रेसिडेंट ने कहा कि सरकार को कारोबारियों की मुश्किल को दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए.