कश्मीर प्रशासनिक सेवा में चयन होने वाले अब्दुल्लाह गाज़ी की मेहनत और संघर्ष की कहानी!

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एक तरफ आतंकवाद का साया तो दूसरी ओर हालात की मार। एक आतंकी की पत्नी का धब्बा लिए एक मां ने अपने लाडले की जिंदगी संवारने के लिए उसे बाल आश्रम भेज दिया। ताकि वह सपने पूरे कर सके।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, जज्बे और कड़ी मेहनत के बल पर आज मां का वही लाडला गाजी अब्दुल्ला सरकारी अधिकारी बन गया है। उसका कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में चयन हुआ।

 

जम्मू संभाग के डोडा के पिछड़े गांव गुंदना के गाजी को अफसर बनते देख मां की खुशी का ठिकाना नहीं है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के 70 उम्मीदवार इस बार केएएस (कश्मीर प्रशासनिक सेवा) के लिए चुने गए हैं।

 

गाजी इन सभी में सबसे अलग हैं। गाजी का बचपन बाल आश्रम में बीता है। जब वह दो साल के थे तो निजी स्कूल में शिक्षक पिता मोहम्मद अब्दुल्ला बट वर्ष 1998 में आतंकवादी वारदातों में संलिप्त होने पर मुठभेड़ में मारे गए।

 

मां ने बड़ी मुश्किल से गाजी को पांचवीं तक स्थानीय स्कूल में पढ़ाया। गरीबी का आलम यह था कि घर में शाम को चूल्हा जलेगा या नहीं, यह पता नहीं होता था।

 

बच्चे की लगन देखकर आंगनबाड़ी में मददगार मां नगीना बेगम ने आतंकवाद के साए से दूर रखकर गाजी को श्रीनगर के बेमिना में स्थित बाल आश्रम में भेज दिया।

 

गाजी ने 12वीं तक पढ़ाई श्रीनगर के बाल आश्रम में रहकर पूरी की। श्रीनगर में रह कॉलेज में पढ़ना उसके बस में नहीं था। 18 साल के बाद आश्रम में रहने की इजाजत नहीं थी।

 

काम धंधा भी कोई नहीं था। गाजी ने डोडा लौटने का फैसला किया और डोडा स्थित सरकारी कॉलेज में दाखिला ले लिया।

 

गाजी ने बताया कि मैं कॉलेज में पढ़ता था तो अपना खर्च निकालने के लिए शाम को स्थानीय बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा। निजी स्कूल में भी पढ़ाया।

 

इस तरह से जिंदगी की गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।

 

वहां से मैंने बॉटनी में स्नातकोत्तर की उपाधी प्राप्त की है। मैं शुरू से सिविल सर्विसेज में जाना चाहता था। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी।

 

सच पूछो तो मेरी मां की मेहनत और दुआ का नतीजा है। उसकी मेहनत और दुआओं ने हमेशा मुझे ईमानदारी और सब्र के साथ आगे बढ़ने का हौसला दिया है।