शाहिन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों को लेकर केरल गवर्नर ने दिया हैरान करने वाला बयान!

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दिल्ली के शाहीन बाग में लगभग दो महीने से महिलाएं नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरने पर बैठी हुई हैं। इस प्रदर्शन की आलोचना करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कहा कि जो हो रहा है उसमें असहमति के अधिकार की अभिव्यक्ति नहीं है बल्कि दूसरों पर विचार थोपने का प्रयास है।

 

नवोदय टाइम्स पर छपी खबर के अनुसार, खान ने यहां एक सम्मेलन से इतर कहा कि कुछ लोगों ने कानून अपने हाथों में लेने और जनजीवन को प्रभावित करने का फैसला कर लिया है।

 

प्रदर्शनकारियों का समूह पिछले करीब दो महीने से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ शाहीन बाग में धरने पर बैठा हुआ है जिसमें अधिकतर महिलाएं हैं।

 

दक्षिणी दिल्ली और नोएडा को जोडने वाले महत्त्वपूर्ण मार्ग पर धरने के कारण यातायात बाधित है।

 

राज्यपाल ने संवाददाताओं से कहा, यह असहमति का अधिकार नहीं है, यह दूसरों पर विचार थोपने का प्रयास है। आपके पास अपने विचार अभिव्यक्त करने का अधिकार है लेकिन आपके पास सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त करने का अधिकार नहीं है।’’

 

सीएए के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में जारी प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 1986 में भी लाखों लोग थे जिन्होंने शाह बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटे जाने का विरोध किया था।

 

इस मुद्दे के खिलाफ 1986 में राजीव गांधी कैबिनेट से हट जाने वाले खान ने कहा, लेकिन, मेरी तरफ से यह कहना क्या तर्कसंगत होता कि मैं कानून वापस लिए जाने तक धरने पर बैठूंगा।

 

खान गोवा अंतरराष्ट्रीय केंद्र में डिफिकल्ट डायलॉग्स सम्मेलन में वाक स्वतंत्रता, सेंसरशिप और मीडिया : क्या कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करता है। विषय पर बोलने के लिए यहां मौजूद थे।

 

उन्होंने कहा कि आप विचार रखने वाले किसी व्यक्ति के साथ संवाद कर सकते हैं लेकिन यह इस मामले में मुश्किल है जहां प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हैं।

 

पाकिस्तान के एक गैर सरकारी संगठन के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2019 में 1,000 से ज्यादा लड़कियों को अगवा किया गया और उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य किया गया।

 

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को ध्यान में रखते हुए कहा, हमें उदार, स्वच्छंद होना चाहिए, हमें विविधता को स्वीकार एवं उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन साथ ही हम तथ्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

 

सीएए को चुनौती देने के लिए केरल सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 131 का हवाला देने पर उन्होंने कहा कि मामले में फैसला अदालत करेगी।